मरु भूमि का उभरता कवि तेजस मुंगेरिया अपने छंदों के माध्यम से महाराणा प्रताप का यशोवर्णन इस प्रकार करता है .
जब जब हम महाराणा प्रताप की कथा सुनते हैं तो आँखों मे लहू भर जाता है और मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व त्यागने के लिए तीव्रता से प्रेरित हो उठते हैं । नश्वर देह की रूह थरथरा उठती है , देह के बाल शूलों की भांति खड़े हो जाते हैं । मानो देह, युद्ध मे मैदान में पहना जाने वाला शूलधारी कवच हो ।
#JAY_MAHARANA
'राण प्रताब कथा सुनिकै'
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-मदिरा सवैया-- ________________
सीस झुक्या बगसीसन में
पतशाह के पांव पखाल़त है।
गाथ सुना नह गैलन की,
उन नांव सुनै क्रुद्ध आवत है।
आ अनमी इकलौ अतुळौ,
छबि आजलगां उर छावत है,
राण प्रताब कथा सुनिकै
झट नैण लहू झर जावत है।।
बीहड़ में दर बीरन का,
घर डूंगर-डूंगर घाल़त है।
मायड़ माण सदा सिर मांडण,
पाथर सैज पोढ़ावत है।
खास मिठास न खावन कौ,
अमरौ सुत भूख भुलावत है।
राण प्रताब कथा सुनिकै
झट नैण लहू झर जावत है।।
राज तजै जन काज हल्यौ,
सुख साधन बात न साल़त है।
लाख दुखां मझ में लड़ियौ,
भिड़ियौ हल़दी युद्ध भावत है।
भील बहादर जाय भिळ्या,
हद हाकम फौज हलावत है।
राण प्रताब कथा सुनिकै
झट नैण लहू झर जावत है।।
बैगम संग लियां इत बैठोय,
खान प्रवास मनावत है।
आ धमक्यौ अमरौ उत रीस'ज,
बैगम कू हर लावत है।।
पाथल़ कान'ज बात पुगी,
पट पाथल़ नार पुगावत है।
राण प्रताब कथा सुनिकै
झट नैण लहू झर जावत है।।
जीण कसी जद चैतक पै,
गगनां पर पौड़'ज गाजत है।
खाग चली चपला वरणी,
अरियांदल़ नै अरड़ावत है।।
पूँजल ,मान'र हाकम पूगत,
कूरम जी कुरळावत है।
राण प्रताब कथा सुनिकै
झट नैण लहू झर जावत है।।
हां दुनिया मझ वीर हता पण,
हौड़ न राण की हौवत है।
कूरम रा सत छूट गया पण
राण निहाथ न मारत है।।
घाव दियौ बहलौलन पै घब
चींबड़ ज्यूं चिर जावत है।।
राण प्रताब कथा सुनिकै
झट नैण लहू झर जावत है।।
लीक चली निज वारन की,
सिर पाग अडीग सुहावत है।
झाळ मिल़ी पदमां, करमां
बढ़ बादळ सीस बहावत है।।
चातक ज्यूं चित्रकूट खड़ौ,
नित साधक माथ नमावत है।।
राण प्रताब कथा सुनिकै
झट नैण लहू झर जावत है।।
मान मठौठन गैल गया सह,
बात यहाँ बिसरावत है।
टूट गया परमारथ , त्याग'रु
स्वारथ स्वांग रचावत है।।
कूड़ अठै धणियाप करी,
दल़ राकस राज डरावत है।।
राण प्रताब कथा सुनिकै
झट नैण लहू झर जावत है।।
---तेजस मुंगेरिया
Негізгі бет कविता | नैण लहू झर जावत है - महाराणा प्रताप यशोवर्णन | कवि तेजस मुंगेरिया | भाषा - ड़िंगळ राजस्थानी
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