Lines :- Murari Mandal ✍️
Behr :- 1222 1222 122
पूरी ग़ज़ल :--
किसी के साथ यूं ऐसा न कीजे
निभा गर ना सकें,वादा न कीजे
मचल उठता है अंदर से बदन ये
नशीली आँख से देखा न कीजे
किसी को मार दें लेकिन कभी भी
किसी के साथ में धोखा न कीजे
जमाने का कोई भी जुर्म कर लें
मुहब्बत सा कोई मसला न कीजे
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Негізгі бет किसी को मार दें लेकिन कभी कभी, किसी के साथ में धोखा न कीजे! Murari Mandal Poetry
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