कृष्ण जन्माष्टमी की कथा सुनने से मिटेंगे सभी पाप-दोष कान्हाजी होंगे खुश,वैकुण्ठ से मिलेगा अपार धन
जन्माष्टमी के दिन व रात कोई भी भूलकर न करें ये गलतियाँ भगवानजी को होगा बहुत कष्ट|| #Janmashtmi_Katha 2020
11अगस्त को अष्टमी तिथि शुरू,12 अगस्त को अष्टमी तिथि समाप्त,रोहिणी नक्षत्र 13 को जन्माष्टमी कब माने ?
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत निर्णय
ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार
वर्जनीया प्रयत्नेन सप्तमी संयुताष्टमी।
अर्थात सप्तमी से संयुक्त अष्टमी का प्रयत्न पूर्वक त्याग कर देना चाहिये ।
कलाकाष्ठा मुहुर्तापियदा कृष्णाष्टमी तिथिः। नवम्याम् सैव ग्राह्या स्यात् सप्तमी संयुता नहि।।
वैष्णव वास्तु के अनुसार
अर्द्ध रात्रि व्यापिनीमपि रोहिणी युतामपि सप्तमी विद्धान परित्यज्य नवमी युतैव ग्राह्या ।इति नृसिंह परिचर्याद्यनुयायिन ।
अग्नि पुराण के अनुसार श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत के संबंध मे
वर्जनीय प्रयत्नेन सप्तमी संयुक्ताष्टमी ।बिना ऋक्षेण कर्तव्या नवमी संयुक्ताष्टमी ।।
अर्थात जिस दिन सूर्योदय के समय सप्तमी तिथि हो और कुछ समय बाद अष्टमी तिथि आ जावे तथा रोहिणी नक्षत्र तो भी उस दिन व्रत नहीं करना चाहिए ।नवमी युक्त अष्टमी को ही व्रत रखना चाहिए ।
पद्म पुराण के अनुसार
पुत्रां हन्ति पशून हन्ति हन्ति राष्ट्रम सराजकम्।
हन्ति जातान् अजातानश्च सप्तमीषित अष्टमी ।।
यदि सप्तमी युक्त अष्टमी हो और उसमें उपवास करें तो पुत्र पशु राज्य राष्ट्र जात (जीवित) अजात अर्थात गर्भस्थ इन सबको नष्ट कर देता है ।
स्कन्द पुराण के अनुसार
पालवेधेपि विप्रेन्द्र सप्तम्याष्टमी त्यजेत ।सुरया बिन्दु स्पृष्टम् गंगांभः कलशं यथा।।
जिस प्रकार गंगाजल से भरे घङे में यदि मदिरा का एक बूँद भी गिर जाय तो वह दूषित हो जाता है ठीक उसी तरह यदि सूर्योदय के समय किञ्चित मात्र भी सप्तमी हो तो वह अष्टमी व्रत उपवास के लिए दूषित हो जाती है ।
अतः इन पौराणिक वचनों के अनुसार श्री कृष्ण जन्माष्टमी दिनांक 12 अगस्त 2020 बुधवार को ही मनाया जाना श्रेष्ठ रहेगा ।
जन्माष्टमी के दिन नंदगोपाल को खुश करने के लिए पूजा में शामिल करें ये 10 चीज
जन्माष्टमी का पर्व मनाने के लिए देश भर में तैयारियां शुरू हो चुकी है. कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए इस बार विशेष सावधानी बरती जा रही है. इस बार लोग जन्माष्टमी का पर्व घर पर ही श्रद्धाभाव से मनाने की तैयारी कर रहे हैं. इसके लिए प्रयास भी आरंभ हो गए है. जन्माष्टमी के पर्व पर घरों में झांकी सजाने की भी परंपरा है. इस साल ये पर्व 12 अगस्त, बुधवार को मनाया जएगा. हिंदू पंचांग की मानें तो भगवान कृष्ण को समर्पित ये पावन त्योहार, हर साल भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है. श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान के श्रृंगार के लिए इत्र, बाल गोपाल के नए पीले वस्त्र, सुंदर बांसुरी, मोरपंख, गले के लिए वैजयंती माता, सिर के लिए मुकुट, हाथों के लिए चूड़ियां और पैरों के लिए पैजनिया पहले ही एकत्रित करके पूजा स्थान पर रख लें. इसके साथ ही पूजा सामग्री के लिए कुछ फल, सब्जी, एक चौकी, पीला साफ कपड़ा, बाल कृष्ण की मूर्ति, एक सिंहासन, पंचामृत, गंगाजल, दीपक, दही, शहद, दूध, दीपक, गाय का देसी घी, धूपबत्ती, गोकुलाष्ट चंदन, अक्षत (साबुत चावल), तुलसी के पत्ते, माखन, मिश्री और अन्य भोग सामग्री का होना भी आवश्यक होता है.
दक्षिणावर्ती शंख से करें बालगोपाल का अभिषेक
इस माह में रोज सुबह स्नान के बाद घर के मंदिर में बालगोपाल की पूजा करें. श्रीगणेश की पूजा के बाद बालगोपाल का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करना चाहिए. इसके लिए दूध में केसर मिलाएं और बाल गोपाल को अर्पित करें. इसके बाद जल से स्नान कराएं. पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें. भगवान को माखन-मिश्री का भोग लगाएं. ध्यान रखें भोग में तुलसी जरूर रखें. कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप करें. Janmashtami Vrat 2020 vrat date time, krishna Janmashtami fast 2020, Janmashtami Vrat pooja vidhi in hindi, Janmashtami Vrat kab hai 2020, जन्माष्टमी तारीख 2020 कब है, 2020 में जन्माष्टमी कब है, कृष्ण जन्माष्टमी 2020 पूजा विधि, जन्माष्टमी डेट टाइम 2020, 2019 में जन्माष्टमी कितने तारीख को है, जन्माष्टमी व्रत कथा मंत्र आरती
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