9 August का दिन कई मायनों में ख़ास है, 1942 में 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' की ही तर्ज़ पर किसानों ने 'Corporate भगाओ, खेती बचाओ' का नारा दिया गया, देश के अलग अलग राज्यों में किसानों ने इस आंदोलन में अपनी भागीदारी की, साथ ही 9 August 'विश्व आदिवासी दिवस' भी है, इस मौक़े पर आदिवासी किसानों की क्या दशा है, दिक़्क़तें है, कृषि क़ानूनों का आदिवासी इलाक़ों में क्या प्रभाव, क्या भविष्य होगा? आदिवासी समाज को विकास की धारा में लाने के लिए जो नीतिगत फ़ैसले लिए जा रहे है उस पर क्या है उनकी सोच, इन दोनों ही अहम मुद्दों पर 'हिंद किसान' ने बातचीत की छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष, संजय पराते जी से।
- 3 жыл бұрын
कृषि क़ानून: आदिवासी समाज पर क्या असर?
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