कुंडलिनी योग हमारे सात चक्र जागरण की साधना है। चक्र जागरण में आसन, प्राणायाम , ध्यान , मंत्र और दूसरी यौगिक क्रियाएं शामिल रहती हैं। पहला चक्र है मूलाधार चक्र। मूलाधार चक्र हमारे व्यक्तित्व में आत्मविश्वास व शक्ति यानी Confidence & Strength बढ़ाता है। ऐसा Personality साहसिक फैसले व स्वाभिमान के लिए जाना जाता है। कुंडलिनी योग में दूसरे चक्र हैं - स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपुर चक्र, अनाहत चक्र, विशुद्धि चक्र, आज्ञा चक्र और सहस्रार चक्र। कुंडलिनी चक्र साधना के इस वीडियो में हम बात कर रहें हैं उन आसनों की जो मूलाधार चक्र को जाग्रत करें । ऐसे आसनों में वीरभद्रासन, अंजनी आसन, मालासन जैसे कई आसन हो सकते हैं। वशिष्ठ योग आश्रम के योगगुरु धीरज बता रहें हैं मूलाधार चक्र का क्या है महत्व और कैसे हम आसन अभ्यास के जरिए इन्हें संतुलित या जाग्रत कर सकते हैं।
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