हे गुरुवर! अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी दी आपने। बुद्धि ( सत्य और असत्य को आंकने की छमता) बोध : सत्य की अनुभूति विवेक : बुद्धि मे बढ़ोतरी मन : मस्तिष्क का उत्पादन ,इंद्रियों को ओर ले जाता है। इन्द्रियां: नियंत्रण नहीं तौ पतन की ओर अग्रसर परिणाम विवेकहीन। अंत ता: बोध बुद्धि की पराकाष्ठा है✔️
@gurindersinghgurindersingh6568
Жыл бұрын
Aap jese gyanio ki bahut abishikta samaj ko 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 Bhagwan aap ko tandrusti 💪 bakshe🙏🏻
@rohitsuri5982
Жыл бұрын
KAMAAL Hai. Stay Blessed. Guru ji PARNAM.
@IrfanAli-db6kb
Жыл бұрын
Physics,above to the physics and psychophysics nicely explained by Hounarable Scholar ✔️
@Praveen-kh3zw
Жыл бұрын
गुरुजी के श्रीचरणों को प्रणाम। हम बहुत खुश और धन्य हैं कि आपको सुनने का अवसर मिला। आपने हमें जीवन को विभिन्न आयामों में देखना सिखाया है। आपका ज्ञान और समझ अनमोल है। विकास जी, आपके प्रयासों के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। आपके बिना हम इस महान विनम्र व्यक्ति को सुनने में सक्षम नहीं होते।
@way2vikrampotdar
Жыл бұрын
सत्य accept करना.लाख लाख प्रणाम गुरुजी.
@SKumar-m3c
7 ай бұрын
विकास जी, आपका प्रश्न सटीक था और गुरु जी का उत्तर भी उतना ही सटीक। धन्यवाद।
@TheQuestURL
7 ай бұрын
🌹🙏
@prashants.chahal7990
Жыл бұрын
गुरु जी को सादर नमन। गुरुजी के व्याख्यान से सदैव ही अभिभूत हो जाता हूं और गुरुजी के व्याख्यान, जीवन के प्रति नए दृष्टिकोण अपनाने को प्रेरित करते हैं।गुरुजी स्वस्थ रहें, इस कामना सहित the quest team का हृदयतल से आभार।
@ArjunSharma-zk4yy
Жыл бұрын
Pranaam Guruji.. aap gyaan ka Prakash sotra hain..🙏🏻
@shrikantsharma7062
Жыл бұрын
बहुत सुंदर व्याख्या।
@vikasmutha7014
Жыл бұрын
" शुद्धाद्वैतवाद " 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
@अजातशत्रु-प4ज
Жыл бұрын
गुरु जी के चरणों में समर्पित कोटि कोटि प्रणाम🙏🙏🙏 गुरू जी से निवेदन है कि एक व्याख्यान आचार्य चाणक्य पर दे कर हमारा ज्ञानवर्धन करें 🙏🙏🙏
@veer2806
Жыл бұрын
Bahot se mere prashna ke jawab mil gaya.
@indiantraveller194
Жыл бұрын
राधे राधे गुरु जी । दिल आप प्रणाम 😘🇮🇳
@logically1028
Жыл бұрын
बहुत सुंदर विश्लेषण...🙏
@nandikishorepradhan2782
Жыл бұрын
Is age me guruji ke yadaas gajab hai
@akhileshsingh-oq3mj
Жыл бұрын
Man tript ho jata hai Guru ji ki baat sun kar 🙏🙏🙏🙏🙏
@IrfanAli-db6kb
Жыл бұрын
मन नियंत्रण होने लगता है, इंद्रियों की ओर अग्रसर नही होता, बुद्धि सत्य और असत्य का आंकलन कर लेती है। सत्य का बोध होने लगता हैऔर विवेक का उत्थान आनंद में परवर्तित हो जाता है।💞🤲🙏💞
@ankitnegi7547
Жыл бұрын
प्रणाम गुरुदेव महादेवजी आपकी रक्षा करे
@infinite794
Жыл бұрын
गुरुजी से प्रार्थना है कि कृपया सम्यक आजीविका पर भी कुछ प्रकाश डालें। आध्यात्मिक राहगीर के लिए आजीविका के संबंध में सर्वोत्तम कार्य कोनसा हो? 💐🙏💐धन्यवाद
@chanderkanta5715
Жыл бұрын
Gratitude Guruji 🙏
@chanderkanta5715
Жыл бұрын
Wah kya answers aur kya questions hai ,maza aa gaya🙏
@IrfanAli-db6kb
Жыл бұрын
Philosophy Darshan and Revealed granths को बुद्धि से सत्य अस्त्य को आंक सकते हैं क्या?
@IrfanAli-db6kb
Жыл бұрын
Can v find right and wrong if philosophy Darshan and revelation mix together?
@manjuufoodcreations369
Жыл бұрын
प्रणाम गुरुजी 🙏
@Jyoti_jigyasha
Жыл бұрын
गुरुदेव को नमन है
@thesecretyoga
Жыл бұрын
मन सवार , बुद्धि सारथी और इंद्रियां घोड़े है । पहचान क्या है ? मन सोचता है , बुद्धि बोध यानी प्रेरणा करती है और इंद्रियां इन दोनो में से किसी एक का अनुगमन करती है । मन का अनुगमन करने पर भटकती है और बुद्धि का अनुगमन करने पर सीधे मार्ग पर चलती है ।
@IrfanAli-db6kb
Жыл бұрын
बुद्धि सत्य और असत्य को आंक लेती है ( प्रेरणा अलग विषय है) बोध: सत्य की अनुभूति। नियंत्रण इन्द्रियां पतन को रोकती हैं। विवेक: बुद्धि का उत्थान कम ज्यादा करता है... यदि कम है तौ भौतिक( विज्ञान) का सच पता करता है यदि ज्यादा है तौ अध्यात्म से सत्य को खोज लेता है।💞🙏💞
@thesecretyoga
Жыл бұрын
@@IrfanAli-db6kb perfectly said.❤️🙏
@sadynasty
Жыл бұрын
Bhut khub....🙏
@gurindersinghgurindersingh6568
Жыл бұрын
Bahut sundar paribashdi aap ne bro 👌👍 Lakin Mann or budhi se bi Upar ikk Cheej or hai or vo hai chatanya jis ko atma bi kehte hai , 🙏🏻
@thesecretyoga
Жыл бұрын
@@gurindersinghgurindersingh6568 चेतना एक लूप है भाई जी जिसका जन्म बुद्धि और मन के संयोग से होता है , मन ही आत्मा है पर ये यहां आत्मा से अभिप्राय अंतर मन से है , शब्द आत्मा का अर्थ है आत+मनन यानी जो सोचे और गति करे।ब्रह्म का अर्थ है जो ब्रह+ मनन यानी जो सोचे और फैले । आत्मा मन और ब्रह्म बुद्धि ही है । बुद्धि को सागर और अंतर मन को उसमें विश्राम पाते नारायण या सूर्य भी प्रतीक रूप में बोलते है। दोनो के संयोग से उठने वाले बादल यानी मेघ ही नारद है यानी नार ददाती अर्थात जल देने वाले । हमारे भीतर ये नारद ही " विचार" है जो न ठहरते है और न इनको तीन लोको में भ्रमण करने से कोई रोक सकता है । इन विचारों का उद्गम मन-बुद्धि के संयोग से होता है इसलिए नारद सदेव नारायण नारायण करते है । साधारण रूप में मन शब्द का प्रयोग बाहरी मन के संदर्भ में होता है जो विषयमुखी होने से सदेव भटकता है । इसलिए बाहरी मन को monkey mind भी कहते है ।
@rajeshsingh3451
Жыл бұрын
Pranam guruji 🌹
@chanderkanta5715
Жыл бұрын
We love you Guru ji 🙏
@SairajSawant
Жыл бұрын
Pranam guruji❤🙏
@krishrajpoot8470
Жыл бұрын
Adbhut guru ji
@hansrajbabel
Жыл бұрын
मेरा नाम शिव है और मैं हिमालय पहाड़ की तलहटी पर बसे एक गांव में रहता हूं .मैं एक वास्तविकता में जीने वाला मनुष्य हूं और मैं भावावेश में कोई निर्णय नहीं लेता. आप मुझे दूरदृष्टा भी कह सकते हैं. मेरी पत्नी का नाम पार्वती है. वह बेहद सुंदर है लेकिन सभी स्त्रियों की तरह उसका प्रत्येक निर्णय भावावेश पर ही आधारित होता है . हमारी बड़ी संतान का नाम कार्तिकेय है, जो बहुत ही कुशाग्र बुद्धि (स्वस्थ) बालक है लेकिन हमारा छोटा बेटा गणेश जन्म से ही प्रोजेरिया नामक बीमारी से ग्रसित है, जिसमें बालक का सिर जन्म से ही बहुत बड़ा होता है और उसमें बुढ़ापा आने का प्रोसेस बहुत तेजी से होता है . उसके पैदा होते ही डॉक्टर ने मुझसे कहा कि यह बच्चा अधिक से अधिक 20- 25 साल तक ही जीवित रह पायेगा .यह कभी सामान्य जिंदगी नहीं जी पाएगा और जीवन भर आप पर बोझ बना रहेगा . मैंने पार्वती से कहा कि ऐसा बच्चा इस दुनिया में जीकर भी क्या करेगा .इस पर ही पूरा ध्यान केंद्रित हो जाने के कारण हम कार्तिकेय पर भी ध्यान नहीं दे पाएंगे और उसका विकास भी अवरुद्ध हो जाएगा. इसके बौझ के कारण तुम्हारा अपना स्वास्थ्य भी खराब हो जाएगा इसलिए इसका इस दुनिया में न रहना ,हम सभी के लिए भी और स्वयं इसके लिए भी अच्छा है. लेकिन मातृमोह के कारण पार्वती ने मुझसे कहा कि तुम कितने निर्दयी हो शिव, अपने ही बच्चे के बारे में ऐसा कैसे सोच सकते हो. आइंदा कभी मेरे सामने ऐसी बात मत करना .मुझे भगवान और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान पर पूरा भरोसा है और मैं अपने बेटे का अच्छे से अच्छा इलाज करवाऊंगी. देख लेना वह बिल्कुल स्वस्थ हो जाएगा क्योंकि मेरा भगवान मेरे साथ अन्याय नहीं कर सकता है अब मेरे पास मौन रहने के अतिरिक्त कोई उपाय नहीं था. कुछ दिनों के बाद पार्वती कार्तिकेय को मेरे पास छोड़कर, इलाज के लिए गणेश को लेकर मुंबई आ गई, जहां बहुत बड़े बड़े डॉक्टर रहते थे. उसने गणेश के इलाज के लिए पैसा पानी की तरह बहा दिया लेकिन जिस रोग का कोई इलाज ही नहीं हो तो डॉक्टर उसमें कर भी क्या सकता है . गणेश के असामान्य बड़े सिर के कारण मुंबई के लोगों ने गणेश को बहुत कुशाग्र बुद्धि मान लिया और उसकी पूजा करने लगे क्योंकि परंपरागत रूप से उन्हें यही बताया गया था कि बड़े मस्तिष्क वाले व्यक्ति बहुत बुद्धिमान होते हैं. गणेश के बोझ के कारण स्वयं पार्वती का शरीर भी झुककर दोहरा हो गया. उसका सारा आकर्षण समाप्त हो गया और वह युवा उम्र में ही प्रोढ़ जैसी दिखने लगी. गणेश की हालत अब बहुत ही खराब थी ,वह वेंटिलेटर पर था. पार्वती को अब मेरी कही हुई सब बातें याद आने लगी . उसने डॉक्टरों से कहा कि गणेश को वेंटिलेटर से उतार दीजिए. डॉक्टरों ने उसे चेताया कि अगर ऐसा किया गया तो गणेश की मृत्यु हो जाएगी लेकिन पार्वती निर्णय ले चुकी थी ,उसने फोन करके मुझसे कहा कि तुम ठीक कहते थे शिव ,मुझे उसी दिन यह निर्णय ले लेना चाहिए था .अब मैं तुम्हारे पास लौटकर अपने स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहती हूं . पार्वती को आप पृथ्वी के रूप में जानते हैं और मुझे आप उत्तरी ध्रुव के रूप में जानते हैं. हम दोनों वाइब्रेशन के द्वारा हमेशा एक दूसरे से जुड़े रहते हैं .अपनी नाकारा संतानों से मोह के कारण पृथ्वी अब पूरी तरह झुक चुकी है और अब उसने अपनी नाकारा संतानों का मोह त्यागकर स्वयं के मेरुदंड को सीधा करने का निर्णय ले लिया है .वह समझ गई है कि गणेश जैसे रोगी बालक को भी भगवान समझ लेने वाली धार्मिक बुद्धि वाली और हमेशा भगवान से मांगती रहने वाली ऐसी जड़ संतानें इस पृथ्वी पर जीकर भी क्या करेगी . पृथ्वी ने अब दक्षिणी ध्रुव (नीचे) की तरफ झुकना छोड़कर उत्तरी ध्रुव (ऊपर) की तरफ बढ़ने का निर्णय ले लिया है. मैं पार्वती के इस निर्णय से बेहद खुश हूं .हमें संतानों की संख्या पर नहीं बल्कि उनकी गुणवत्ता पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए. अब इस दुनिया में सिर्फ वही लोग जीवित रहेंगे जो भगवान को नहीं मानते हैं और जिनके भीतर संघर्ष करने की क्षमता है. मैं चित्त हूं कार्तिकेय मन है पार्वती बुद्धि है और गणेश अहंकार है. अहंकार के मरने के बाद ही हमारी बुद्धि सही मार्ग पर आती है.
@333highpriestess6
Жыл бұрын
Sir aap kitne "Bhagyeshali" hai.. Guru ji k itne saamne se ye sab gyan aap grahan kr parhy hai 🙏🏻
@hansrajbabel
Жыл бұрын
मनुष्य शब्द मन से ही बना है .मन का अर्थ होता है ऊपर उठने की प्रवृति. पशुओं में मन नहीं पाया जाता है गुरुजी को कृपया मेरी नीचे वाली पोस्ट अवश्य पढ़ा देवें
@IrfanAli-db6kb
Жыл бұрын
मन, मस्तिष्क का उत्पादन है। जब मन बुद्धि पर हावी हो जाता है तब मनुष्य विवेक हीन कहलाता है और जब बुद्धि मन पर हावी हो जाती है तब मनुष्य विवेक पुरुष कहलाता है।
@ayubtamboli6007
Жыл бұрын
Great
@arunkumargupta8194
Жыл бұрын
🙏❤️ koti pranam ❤️🙏
@vikaspratapsingh903
Жыл бұрын
Bahut bahut dhanyvad....
@alaknirnjan1980
Жыл бұрын
हर हर महादेव 🕉️🔱🕉️🔱🕉️🔱🕉️🔱🕉️🔱🕉️🔱🕉️🔱🕉️🔱🕉️🔱🕉️🔱
@SURENDRAKUMAR-jb3cg
Жыл бұрын
Jay Jay guru ji🙏🙏
@vinitasahaj7608
Жыл бұрын
Thanks Guruji
@MRohitg
Жыл бұрын
Thank sir ji
@user-px6oh4zx8x
Жыл бұрын
Guru ji pranam
@babitavaishnav4483
Жыл бұрын
👏❤
@ankityadavrl5sz
Жыл бұрын
Long live legend
@dayashankar2495
Жыл бұрын
Can you request Guruji to explain swa dharme nidhanam sreyah par Dharmo bhayawa.? What is the meaning of swadharm and pardharm here?
@jagatbhavsar6649
Жыл бұрын
👌👌👌👌👌👏👏👏👏👏👏👏🙌🙌🙌🙌🙌🙌🌷🌷🌷🙏🙏🙏🙏⚘⚘unbelievable guruji bhagvadgita me bhi bhagvan ne arjun ko yahi gyan diya he 🙏🙏🙏abdhut guruji
@ketansharma9215
Жыл бұрын
सर, गुरुजी से भैरव की मानव देह पर सवारी के बारे में प्रश्न कीजिये🙏।
@yoyo-pe5km
Жыл бұрын
अंतःकरण चतुष्टय चार हैं,मन, बुद्धि,चित्त और अहंकार...नियंत्रित मन को ही बुद्धि कहते हैं
@IrfanAli-db6kb
Жыл бұрын
चित्त वृत्ति को नियंत्रण करना चाहिए यह योग में बाधा उत्पन्न करती है और समाधि की ओर नहीं जाने देती। मस्तिष्क का उत्पादन मन होता है, जैसा चित्त होगा उत्पादन भी वैसा ही होगा, बुद्धि उस उत्पादन में सत्य और असत्य को आंक लेती है। सत्य अहंकार को सात्विक बनाता है। बोध होने से सत्य (ईश्वर) के अस्तित्व की अनुभूति कराता है। अनुभूति होते ही ईश्वर से इश्क हो जाता है यह ब्रह्माण्ड फिर मिथ्या जगत होने का अनुभव कराता है।💞🤲🙏💞
@mangatramsharma9167
Жыл бұрын
बिल्कुल सही है। पर आपकी विचार मैं भक्ति का मतलब है। राम का नाम बड़ा कहना चाहिए या राम का काम बड़ा है। इस पर विचार दें। धन्यवाद आपका जी। आपके चरणों में प्रणाम जी।
@IrfanAli-db6kb
Жыл бұрын
नाम बड़ा या काम बड़ा आप का मन क्या कहता है? और बुद्धि क्या कहती है? जो भी आप का उत्तर होगा वोह आप का स्वयं का कमाया हुआ ज्ञान होगा उधार का नहीं.... करो आत्मदर्शन 💞🙏💞
@jaybharat3677
Жыл бұрын
👌🏻🙏🏻
@rohitbhardwaj90
Жыл бұрын
Bhout badiya guru jee Aaj rasta milgya dhanyawad. App jaise logo ki bhout jarurat hai
@vinayaksecurity8295
Жыл бұрын
🙏
@dheerajsharma6195
Жыл бұрын
Hari om tat sat 🙏
@seemasahal115
Жыл бұрын
🙏🙏
@mazhermirza6518
Жыл бұрын
Sir .zodic sign pe be Q karain guru ge sa .
@Redediting9797
Жыл бұрын
Good work sir 😊☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️
@parmanandgavade7426
Жыл бұрын
🙏🙏🌹🌹🚩🚩
@fromthedepthsofmyheart9
Жыл бұрын
हम इतना सारा ज्ञान लेते हैं इस चैनल से इसमें कोई शक नही पर ये बताओ गुरु जी कि हम अम्ल कब करें ।।। और किस ज्ञान पर करें जिंदगी छोटी है ज्ञान लेना भी है और अम्ल में भी लाना है
@IrfanAli-db6kb
Жыл бұрын
हे गुरुवर? एक अमल दूसरा विश्वास 1 . ईश्वर पर विश्वास 2. प्रलय पर विश्वास अब शरीर से जो करना है वोह अमल कहलाता है । शरीर से नेक अमल क्या करना है क्या नहीं करना इसे अपनी आस्था के अनुसार जो शास्त्रों में लिखा है उसके हिसाब से जब तक जिंदगी है तब तक करें।
@siddhivaidya667
Жыл бұрын
JSK🙏👏🌹
@girishpandey5409
Жыл бұрын
प्रार्थना का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है गुरदेव से कृपया मेरा ये प्रश्न पूछे----
@IrfanAli-db6kb
Жыл бұрын
यदि प्रार्थना भौतिक है तौ hypothalamous,pituitary adrenal cortex and medulla glands पर प्रभाव पड़ेगा और यदि अध्यात्म है तौ बुद्धि पर प्रभाव होगा , सत्य अस्त्य को जान लोगे।
@girishpandey5409
Жыл бұрын
@@IrfanAli-db6kb सर प्रार्थना हमारे लिए किस तरह लाभदायक है जरा विस्तार से समझाएं---
@IrfanAli-db6kb
Жыл бұрын
@@girishpandey5409 प्रार्थना एक वाइब्रेशन है यह ब्रह्माण्ड में जाती है,ब्रह्माण्ड जब देखते हैं तभी तक ब्रह्माण्ड है यदि नहीं देखते तौ wave जैसा है।( यही Quantam physics है इसकी नीव 1500साल पहले शंकराचार्य जी ने रखी थी) । प्रार्थना भी wave का रूप धारण कर लेती हैं कितना Hz की हैं यह इंडिविजुअल पर निर्भर करता है शोध करता मानते हैं कम से कम 50Hz हों तौ अच्छा है। प्रार्थना की wave ब्रह्माण्ड से मिल जाती हैं। समस्त ब्रह्माण्ड ऊर्जा से भरपूर लवा लब भरा हुआ है ईश्वर ने सब के साधन कराए। यह प्रार्थनाएं ही हैं जिनका प्रभाव हम सब पर पड़ता है।यह शुद्ध वैज्ञानिक तरीका है। अनंत खजाने हैं इस ब्रह्माण्ड में सब यहीं से मिलेगा और इसी मे लुप्त हो जाता है। इसलिए मांगो ईश्वर सब कबूल करता है मांगना क्या है और केसे मांगना है यह आस्था पर निर्भर है।
Kripya karke dada ji yogikathaamrit par vichar parkt kariye🙏
@SurajKumar-il3hi
Жыл бұрын
Man ko bibek ki or kaise le jaye man to indriyo ki or jyada jane lagta h
@IrfanAli-db6kb
Жыл бұрын
मन, मस्तिष्क का उत्पादन है। हमारे पांच सेंस सब cerabral cortex में जमा होकर जिसे उत्पन्न करता है उसी को मन कहते हैं। पक्का इरादा ( will) Karen aur senses ( चित्त) पर नियंत्रण करना सीखें।
@bhimsenpawar2031
Жыл бұрын
मन तो भीक मंगा है । इसकी मांगे कभी रुकती ही नही ।🙄😂🤣 ओशो महाराज ।🙏🙏🙏💮🌼🌸 तथागत बुद्ध 🙏🙏🙏🌸🌼💮 मा. जे .कृष्णमूर्ती 🙏🙏🙏💮🌼🌸
@IrfanAli-db6kb
Жыл бұрын
यदि पतन होने से रुकना है तौ मन की ( सही और गलत ) मांग को बुद्धि से ही आंकना होगा।गलत मांग विवेकहीन कर देगी और पतन हो जायेगा। भौतिक पतन हमारे भीतर के पुर्जे hypothalamous,pituitary adrenal cortex and medulla glands हमे warn karenge. अध्यात्म पतन ( सत्य और असत्य) नजर अंदाज कर देगा।💞🙏🤲💞
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