आषाढ़ (जुलाई-अगस्त) के महीने की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस पवित्र दिन, सबसे पहली बार आदियोगी शिव ने सात प्रसिद्द ऋषियों, सप्तऋषियों को योग विज्ञान सौंपना शुरू किया था।
English video: • Guru Purnima - A Day o...
एक योगी, युगदृष्टा, मानवतावादी, सद्गुरु एक आधुनिक गुरु हैं, जिनको योग के प्राचीन विज्ञान पर पूर्ण अधिकार है। विश्व शांति और खुशहाली की दिशा में निरंतर काम कर रहे सद्गुरु के रूपांतरणकारी कार्यक्रमों से दुनिया के करोडों लोगों को एक नई दिशा मिली है। दुनिया भर में लाखों लोगों को आनंद के मार्ग में दीक्षित किया गया है।
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Transcript:
जब आप इस रूप में पहुँच जाते हैं जिसे इंसानी रूप कहते हैं, तो यहाँ से आपका विकास प्राकृतिक तरीके से नहीं होता, इसे चेतन तरीके से होना होगा।
अगर आप चेतन नहीं होंगे, तो यहाँ से आगे कोई विकास नहीं होगा, बंदर विकसित हो सकते हैं। इंसान विकसित नहीं हो सकता।
वो सिर्फ चेतन होकर विकसित हो सकता है।
कहीं न कहीं, प्रकृति ने आपकी बुद्धि पर भरोसा किया, उसे विश्वास था कि आपकी बुद्धि इस तरह की है, कि आप स्वाभाविक रूप से ऊँची चीज़ चुनेंगे, न कि नीची चीज़।
पर आप प्रकृति के भरोसे को गलत साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन ये संभव नहीं है।
इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने तरीकों से खुद को खुश करें, कहीं न कहीं, कोई चीज़, किसी विशाल चीज़ को पाने की गहरी इच्छा रखती है। है न? हाँ?
आप खुद को धन, कचरे और हर चीज़ से भर लें, पर फिर भी ये लालसा नहीं जाती।
जब ये लालसा सहन नहीं होती, तब आप खोजते हैं।
जब आप खोजते हैं, तो क्या आप उस चीज़ को खुद नहीं देख सकते जो आपके भीतर ही है? आप देख सकते हैं।
पर ये अनजान मार्ग है।
ये मार्ग अनजान है, इसलिए अगर आप अकेले जाएंगे, तो आप जानते हैं कोलंबस के साथ क्या हुआ था?
वो भारत आना चाहता था, लेकिन यहाँ पहुँच गया।
वो मार्ग अनजान था, तो बस संयोगवश वो इस महाद्वीप पर आ पहुंचा।
हम बस उन्हीं के बारे में सुनते हैं, जो कहीं पहुंचे थे।
क्या आप जानते हैं कितने लोग कभी कहीं नहीं पहुंचे?
हाँ?
हज़ारों नाविक जो यात्रा पर निकले थे, वे कभी कहीं नहीं पहुंचे।
अगर आप बिना किसी मार्गदर्शन के अनजान मार्ग पर जाएंगे, तो ऐसा ही होगा।
आज, कोलंबस के यहाँ पहुँच जाने के बाद, यूरोप से अमेरिका आना कितना सरल है।
क्यों? क्योंकि उस व्यक्ति के कारण आज ये एक जाना पहचाना मार्ग है। है न?
इसी तरह से आप एक गुरु के पास जाते हैं, क्योंकि वे पहुँच चुके हैं।
तो उनके अनुभव का इस्तेमाल करना अच्छा है,
क्या मैं इसे खुद नहीं कर सकता? आप कर सकते हैं, लेकिन हम नहीं जानते खुद करने पर आपको इसमें कितने जीवनकाल लगेंगे।
ऐसा नहीं है कि ये असंभव है, आप इसे एक पल में भी कर सकते हैं।
आप एकदम से वहाँ पहुँच सकते हैं। हम नहीं जानते। लेकिन, निन्यानवे प्रतिशत लोग बस खो जाएंगे और मिट जाएंगे।
इसीलिए एक गुरु ज़रूरी है।
गुरु बस एक साधन है, गुरु एक व्यक्ति नहीं है। ये समझना ज़रूरी है।
जब आप मुझे एक व्यक्ति से ज़्यादा महसूस करना शुरू कर देते हैं, सिर्फ तभी मैं आपका गुरु हूँ।
उससे पहले मैं गुरु नहीं हूँ।
गुरु पूर्णिमा महत्वपूर्ण है क्योंकि, एक चीज़ है, ऐतिहासिक महत्व, क्योंकि इस दिन, आदियोगी ने खुद को आदिगुरू में बदल दिया था।
गर्मियों की संक्रांति के बाद की इस पहली पूर्णिमा का एक विशेष महत्व है, इसे आम तौर पर कृपा का दिन माना जाता है, और इसी दिन पहले गुरु ने शिक्षा देने का फैसला किया था।
तो ये धरती के हर मनुष्य को, एक महत्वपूर्ण चीज़ याद दिलाता है, क्योंकि हर कोई अपनी सीमाओं में जीता है - शरीर, मन, सामाजिक ढाँचे और गुण-दोष.. हर तरह की सीमाएं।
हर इंसान के लिए ये जानना महत्वपूर्ण है, कि इन चीज़ों से परे जाने का एक तरीका है।
गुरु पूर्णिमा यही याद दिलाती है।
Негізгі бет क्या आपके जीवन में एक गुरु का होना ज़रूरी है? | Sadhguru Hindi
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