आकाश गंगाएं हों, या सौर मंडल के ग्रहों की दूरियां। धरती पर समंदर की लहरें हों या खूबसूरत दिखने वाला कोई फूल। इन सब में एक ऐसा अनुपात पाया जाता है जो उन्हें भगवान की रचना साबित करती है। अंग्रेज़ी में इसे गोल्डन रेशियो या भगवान का फ़िंगरप्रिंट भी कहा जाता है। रोमन गणित में इसे फ़ाई रेशियो कहा गया है। लेकिन उनसे सैकड़ों साल पहले ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में हुए भारतीय गणितज्ञ पिंगल (Pingala) ने छंदसूत्र नाम की एक पुस्तक लिखी है, जिसमें अंकों के इस अनुपात का जिक्र किया है। उन्होंने इन संख्याओं को मात्रामेरु (MatraMeru) नाम दिया है। पिंगल ने यह भी बताया है कि प्रकृति की ज़्यादातर चीजें इसी अनुपात में बनी हुई हैं। इंसान की बनाई जो भी चीजें खूबसूरत मानी जाती हैं उनमें भी यह अनुपात देखने को मिलता है। विस्तार से जानने के लिए ये वीडियो देखें:
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Негізгі бет क्या आपने भगवान का फ़िंगरप्रिंट देखा है? जानिए क्या है Golden Ratio या मात्रामेरू
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