अगर आप अल्मोड़ा से डोल आश्रम जाने का प्लान करते हैं तो ये दूरी आपको लगभग 40km पड़ेगी। हमने भी अपना सफर अल्मोड़ा से डोल आश्रम को किया। जिसमें अल्मोड़ा के बाहर से निकलते हुए हम बजवार, खेड़ी, धौरा, सिलखोड़ा, फपना और फिर लमगड़ा में पहुँचते हैं।
याद रहे की इसी मार्ग पर आपको डोल आश्रम व्यू पॉइंट भी मिलेगा जहां से डोल आश्रम का सुन्दर और मनमोहक drishya आपकी सारी थकान उतार देगा। यहाँ से कुछ photo क्लिक्स जरूर करें।
आगे बढ़ते हुए इसी मुख्य सड़क से एक सड़क जाती है घने जंगल के बीच जहाँ आप ताजी खुली हवा, हरे भरे विशाल पेड़ों की छावं और पक्षियों का मधुर कलरव आप महसूस कर पाएंगे। यहां आकर आप अपनी सारी परेशानियों को भूलकर डोल आश्रम व यहां की हरी-भरी वादियों के बीच खो जाते हैं।
डोल आश्रम के आस पास के गाओं में निरई , दमार , अनुली, बधान , बलिआ, कनरा , कुएता , बोरगांव और लमकोट और भी कई गांव शामिल हैं।
कुछ ही मिनटों की दूरी तय कर आपके सामने आती है डोल आश्रम की पार्किंग जहां से आश्रम बस अब कुछ क़दमों की दूरी पर होता है।
डोल आश्रम ऊंचे-ऊँचे पहाड़ों के बीच तथा हरे भरे घने जंगलों के बीच में स्थित है। प्रकृति की गोद में बसे डोल आश्रम में आने वाले लोगों के मन को एक अजीब सी शांति का अनुभव होता है।
कार को पार्किंग पर लगाकर आप जैसे ही मैन गेट को देखते हैं आस पास आपको काफी सजावट देखने को मिलती है जहां पर आपको भगवान् शिव, भगवान् श्रीकृष्ण और अन्य देवी देवताओं की प्रतिमायें और चित्र देखने को मिलते हैं। गेट के अंदर प्रवेश करते ही गेट के अंदर वाले हिस्से पर भवान विष्णु के १० अवतारों का चित्रण देखने को मिलता है। गेट के बायीं ओर लगी भगवान् की विशाल प्रतिमा जिसे देखकर बड़े ही आनंद की अनुभूति होती है लगता है स्वयं साक्षात् शिव विराजमान हैं। गेट के राइट साइड में वाशरूम और स्वागत कक्ष है जहां पर आप मंदिर समिति के लोगों से हेल्प या पूछताछ कर सकते हैं।
चलिए आश्रम दर्शन के साथ साथ थोड़ा जान लेते हैं की यहां का मुख्य आकर्षण है क्या। आपको बता दें यहां के मुख्य महंत बाबा कल्याण दास जी महाराज हैं। जिनके अनुसार यह आध्यात्मिक व साधना केंद्र के रुप में विकसित किया जा रहा है ताकि देश विदेश से आने वाले श्रद्धालु यहां पर बैठकर ध्यान व साधना कर सके। बताया जाता है कि कैलाश मानसरोवर की अपनी दूसरी यात्रा के दौरान, बाबाजी ने माँ भगवती के दर्शन किए और हिमालय में एक आश्रम शुरू करने के लिए प्रेरित हुए और बाबाजी ने अल्मोड़ा के पास घने जंगल में श्री कल्याणिका हिमालय देव चरणम् की स्थापना की। आपको बता दें कि डोल आश्रम की विशेषता यह है की यहां पर 126 फुट ऊंचे तथा 150 मीटर व्यास के श्रीपीठम का निर्माण हुआ है। श्रीपीठम का निर्माण कार्य सन 2012 से शुरू हुआ था और अप्रैल 2018 में यह बनकर तैयार हो गया। इस श्रीपीठम में एक अष्ट धातु से निर्मित लगभग डेढ़ टन (150कुंतल) वजन और साढ़े तीन फुट ऊंचे श्रीयंत्र की स्थापना की गई हैं। इस यंत्र की स्थापना बड़े धूमधाम से की गई। अब तक का यह विश्व का सबसे बड़ा व सबसे भारी श्रीयंत्र है हालांकि गुजरात के अम्बाजी में और बड़े श्रीयंत्रम को स्थापित किया जा रहा है जिसका वजन लगभग २२०० kg के आसपास है और यह 4ft ऊंचा है।
डोल आश्रम के श्री पीठम में लगभग 500 लोग एक साथ बैठ कर ध्यान लगा सकते हैं।
आश्रम श्रीयंत्रम के अलावा अनेक तरह की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रहने व खाने की सुविधा, चिकित्सा सेवा और जनकल्याण कार्यो में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आश्रम में 12वीं कक्षा तक संचालित संस्कृत विद्यालय को पब्लिक स्कूल के रूप में विकसित किया जा रहा है और बच्चों को संस्कृत भाषा सिखाने पर विशेष ध्यान दिया जाता है और साथ साथ बच्चों को कंप्यूटर व अंग्रेजी भाषा का भी अध्ययन कराया जाता है जिससे बच्चे आधुनिक युग में किसी से पीछे न रहे।
आश्रम में ५ मंदिर भी स्थापित हैं और एक कुंड भी बना हुआ है। मंदिर और श्रीपीठम में फोटोग्राफी allowed नहीं है। लॉकर रूम, आश्रम की कैंटीन के पास ही बने हैं आप वहां पर अपने फ़ोन और डिजिटल आइटम्स submit कर सकते हैं। हमारी जानकारी के अनुसार श्रीपीठम में पुरुषों को जीन्स allowed नहीं होती है और आपको धोती पहनकर ही प्रवेश करना होता है। महिलाओं को शूट और साडी में ही प्रवेश दिया जाता है। इन बातों का विशेष ध्यान आप अपनी यात्रा से पहले जरूर रखें।
तो ये थी जानकारी डोल आश्रम की। आपको आज का एपिसोड कैसा लगा अपने कमैंट्स देकर जरूर बताइयेगा। चैनल को शेयर और सब्सक्राइब जरूर करें और अपना सहयोग देते रहें।
फिर मिलते हैं किसी और एपिसोड में तब तक
जय भारत , जय उत्तराखंड
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Негізгі бет डोल आश्रम ।
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