हरियाणवी लोक गीतों में लोकजीवन के सभी रंग प्रवाहित होते हैं, लेकिन लोकगीतों के अतिरिक्त अगर बात की जाए तो यहाँ का लोकनाट्य “सांग” भी हरियाणवी लोक जीवन की झांकी है। जी हाँ! सांग में भी लोकजीवन के सभी रंग प्रवाहित होते हैं। जीवन के हर पहलू को रागनी व कथा के माध्यम से मंच पर जीवंत करना ही साँगी की सफलता है। तो आइये लाठर की चौपाल के इस अंक पहले भाग में हम सांग में गायकी को लेकर चर्चा करते हैं हरियाणा के मशहूर संगीतकार कैलाश चंद्र वर्मा जी से, और जानते हैं सांग की गायकी की बारीकियां की बानगियाँ .... ...आगे की विस्तृत जानकारी के लिए इस अंक का दूसरा भाग भी जरूर देखें....
- Күн бұрын
Lather ki Choupal: “Saang ki Gayaki” Haryanvi lok natya Saang aur Kailash Chander Verma PART-1
- Рет қаралды 488
Пікірлер: 14