Whatsapp :- wa.me/91988791...
Website :- www.chakradhar...
Instagram :- / chakradhari_official
Facebook :- / chakradhari18
|| जय चक्रधारी ||
आज बात करेंगे - धातु लोह पर, एवं उससे निर्मित भोजन पकाने वाले पात्रों की |
वर्तमान में स्तिथि की विकटता इतनी है के लौह बर्तन भी अत्यंत मिलावटी आने लग गए हैं |
इसका कारण क्या है ?
तो यह जान लीजिये -
लोहे में जो मूल रूप से तीन प्रकार आते हैं -
१. मंद लौह |
२. तीक्ष्ण लौह |
३. कान्त लौह |
यह तीनो कैसे होते हैं, क्या गुण धर्म इनके हैं, कैसा रंग लिए होते हैं, इसका प्रयोग कैसे होता है, इत्यादि घटक जनता को पता ही नहीं है |
जिस कारण कोई विरोध करने वाला है ही नहीं पूरे बाजार में | जिसका लाभ आलसी और अकर्मठ लोग उठाते हैं और कुछ भी बनाकर आपको दे दिया जाता है |
एक और जहाँ स्टील के बर्तन बाजार में प्रचूर मात्रा में उपलब्ध हैं ? चूँकि यह सस्ते हैं, एवं साथ ही भरपूर मात्रा में उपलब्ध हैं - जबकि स्टील लोहे का एक ऐसा स्वरुप है जिसमे लोहे को बिकुल निष्क्रिय कर दिया जाता है - निकल, कोबाल्ट, टाइटेनियम, कार्बन आदि मिलाकर, जिसका नाम stain less steel रख दिया गया है | चूँकि यह non reactive metal है सो यह तो पक्का है - के इसमें भोजन बनाने का व खाने का कोई लाभ नहीं |
वहीँ दूसरी ओर - आयुर्वेद लौह पात्र में भोजन बनाकर खाने का गुणगान करता है - चूँकि लोहे के पात्र में पका भोजन आपके शरीर में - लाल रक्त अणु ( red blood cells ) में कोई कमी नहीं आने देता, एनीमिया नाम का रोग नहीं होने देता, पाण्डु रोग नहीं होने देता, श्वेता प्रदर से रक्षा करता है, लिवर को स्वस्थ रखता है |
आयुर्वेदानुसार लोहे के सभी बर्तन तीक्ष्ण लौह की 6 प्रजातियों में से एक प्रजाति - "कालाय लौह" से निर्मित होने चाहिए, या फिर कान्त लौह के |
अब आप सोचेंगे के कालाय लौह कोनसा होता है - तो जान लीजिये - मिलिट्री के सभी शस्त्र इसी लौह से निर्मित होते हैं , हवाई जहाज़ में यही लौह प्रयुक्त होता है | उसी के बर्तन में भोजन बनाना चाहिए |
मंद लौह की - 3 प्रजाति व तीक्ष्ण लौह की 6 प्राजतियों में - केवल - "कालाय लौह" ही के पात्र भोजन बनाने योग्य है |
दूसरा - महा लौह - अर्थात कान्त लौह - इसमें भोजन बनाना भी श्रेष्ठ बताया गया है यहाँ तक की संसार का श्रेष्ठ लौह - कान्त लौह ही होता है | जिसमे हर आयुर्वेदिक औषिधीय भी बनायीं जा सकती हैं, जिसमें रखे दूध में उफान आ जाए तो दूध उफन कर निचे नहीं गिरता - वह हो सकता है 3 - 4 फुट ऊपर उठ जाए पर दूध को छलकने नहीं देता | यह कान्त लौह का चमत्कार है | अब आप पूछेंगे - के कान्त लौह कहा देखें - तो एक उदाहरण भारत देश में है - कान्त लौह की 5 प्रजातियों में से श्रेष्ठ प्रजाति - रोमक कान्त लौह का - वो हैं दिल्ली में स्तिथ - अशोक स्तम्भ का | जिसमे कभी मंडूर ( जंग ) उत्पन्न नहीं होता | जिसे देख कर आज भी पूरा संसार अचंभित है | इससे अधिक गौरवशाली संस्कृति क्या हो सकती है |
एक रहस्यमयी बात और प्रकट करते हैं - पारस पत्थर की कहानी आप सभी ने सुनी होगी - के लोहे को छूने से लोहा सोना बन जाता है - तो पारस पत्थर भी केवल कान्त लौह पर काम करता है, अन्य किसी लौह पर नहीं |
आइये गर्व करें हम भारत में जन्मे और आनंद लेवें इस जन्म का |
|| जय चक्रधारी ||
|| ॐ का झंडा ऊँचा रहे ||
Join our Telegram Channel :
t.me/Chakradha...
Негізгі бет लौह धातु एवं लौह बर्तन Lohe ke bartan iron utensils from india in HIndi
Пікірлер: 372