इसरायली कंपनी NSO के एक सॉफ्टवेयर पेगासस के ज़रिए पत्रकारों, नेताओं, जजों और उद्योगपतियों के फोन को हैक किया गया और उनकी जासूसी हो रही थी। भारत सरकार ने इस बात से इंकार किया है और दावा किया है के वो विचारों की अभिव्यक्ति के प्रति कटिबद्ध है।
पत्रकार और सांस्कृतिक कार्यकर्ता मुकुल सरल ने पेगासस जासूसी कांड को एक अलग नज़र से देखने-समझने की कोशिश की है। इस हफ़्ते बोल में पेश है उनकी कविता, आओ मेरी जासूसी कर लो।
"अगर सही जासूसी करते
सांसों का संकट न होता
गांगा-जमुना के घाटों पर
फिर ऐसा मरघट न होता
अगर सही जासूसी करते"
Негізгі бет आओ मेरी जासूसी कर लो
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