Swami Sri Sharananad Ji Maharaj's Discourse in Hindi.
स्वामी श्रीशरणानन्दजी महाराज जी का प्रवचन।
”मिल हुए“ को अपना मानना और जो कुछ नहीं मिला है, उसकी कामना में फँसा हुआ व्यक्ति न संसार के प्रति अपना कर्त्तव्य पालन कर सकता है, न निज स्वरूप का बोध पाता है और न भगवान का भक्त होता है। पन्तु शान्ति, मुक्ति और भक्ति की माँग है। साधक के जीवन का सबसे पहला व्रत यह होना चाहिए कि ”मिला हुआ“ अपना नहीं है, अपने लिए नहीं है। मिला हुआ जगत की सेवा के लिए है। अपने लिए तो केवल परमात्मा है जो उत्पति- विनाश से परे है।
Негізгі бет मेरा कुछ नहीं है- मुझे कुछ नहीं चाहिये - Swami Sharnanandji ka pravachan 3a
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