दोनों कलाकारों द्वारा भरत और राम जी के अकथनीय प्रेम का वर्णन सुन्दर स्वरों में | मैं जानउँ निज नाथ सुभाऊ |अपराधिहुं पर कोह न काऊ || मैं प्रभु कृपा रीति हिय जोही |हारेहुं खेल जितावहिं मोही ||
@SureshKumar-yj3px
3 ай бұрын
जय हो बहुत सुन्दर जवाब भगवान आप के ऊपर अपनी कृपा हमेशा बनाये रखे जय श्री राम जी
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