मासी का फूल - लोकगीत चाँचरी | MASI KA PHOOL | FOLKSONG OF UTTARAKHAND | KUMAONI SONG | UPRETI SISTERS
Singer/Music- Upreti Sisters
मासी का फूल उत्तराखंड का एक पारम्परिक लोकगीत चाँचरी है जो कुमाऊँ अंचल के मेलों ,कौतिकों में लोकसमुदाय के द्वारा गाया जाता था|
आज के समय में इन लोकगीतों का मिलना बहुत ही दुर्लभ है, हमारा ये निरंतर प्रयास रहेगा की हम अपनी लोक को सदा जाने अपनी जड़ों को पहचाने और वहां के जानकर लोकसमुदाय से मिलकर इन पारम्परिक गीतों को सहेजें जो की हमारी विराट लोकसंस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा हैं
मासी का फूल ऊँचे हिमालयन क्षेत्र में लगभग पंद्रह हजार फुट की ऊंचाई पर पाया जाता है, इस वनस्पति को मासी,गुग्गुल,नैर और बिल्ल भी कहते हैं| यह एक सुगन्धित वनस्पति है, मासी के पुष्प और इसकी सुगन्धित धुप/गोगुल को देवताओं पर अर्पण किया जाता है| सुगन्धित धुप के साथ साथ मासी के फूल,वनस्पति और इसकी जड़ों से विभिन्न प्रकार की ओषिधियाँ भी बनाई जाती हैं
कितने सौभाग्यशाली होंगे वो लोग और वो लोकसमुदाय जो इन लोकगीतों को गाकर, ईश्वर की आराधना करके अपने जीवन को आनंद से व्यतीत करते होंगे|
हिमालय के आसपास रहने वाला लोकसमुदाय आज भी इस जीवन को जीता है और सदैव अपनी संस्कृति को सहेजकर रखता है। सूर्योदय की प्रातःक़ालीन बेला में लोक समुदाय के मुख से गुंजते हुवे ये लोकगीत सदैव हमारी लोकसंस्कृति के मज़बूत स्तंभ बने रहेंगे।
ढोल, दमाऊं की आवाज के साथ देवताओं का आह्वाहन करना, उन्हें, उन्हीं के द्वारा प्रदत्त वनस्पतियों से भोग अर्पण करना सचमुच एक अलौकिक दृश्य होता है, जो सदैव जीवित रहेगा इन लोकगीतों के माध्यम से, उस लोक समुदाय की, उस सामाजिक व्यवस्था के दृश्य सदैव ह्रदय को आनंदित करते रहेंगे और जब तक हम इस लोक में हैं तब तक उस देवभूमि का और उसकी वृहद संस्कृति का गुणगान करते रहेंगे
गीत के अंत में मासी का फूल इस लोकगीत का पूरा विवरण दिया गया है, कृपया उसे पूरा देखे और सुनें
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