हिंदी में बिंदी का प्रयोग ध्वनि को नासिक्य (नाक से उच्चारित) बनाने के लिए किया जाता है। म और न के संदर्भ में बिंदी का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से होता है:
1. **अनुस्वार (ं)**:
जब किसी व्यंजन से पहले बिंदी का प्रयोग होता है, तब यह अनुस्वार कहलाता है। उदाहरण के लिए: संकल्प (स+ं+कल्प), मंगल (म+ं+गल)।
अनुस्वार का प्रयोग अक्सर न, म, ण, ञ, ङ ध्वनियों के स्थान पर होता है, जब वे किसी व्यंजन से पहले आते हैं।
2. **अनुनासिक (ँ)**:
अनुनासिक का प्रयोग स्वर के साथ किया जाता है, जिससे स्वर नासिक्य ध्वनि में बदल जाता है। उदाहरण के लिए: चाँद, हँसी, माँ।
*म और न का बिंदी के साथ प्रयोग:*
1. **म के साथ**:
जब म के बाद कोई अन्य व्यंजन आता है और उच्चारण में नासिक्य ध्वनि होती है, तो बिंदी का प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरण: कम्प्यूटर (क+ं+प्यूटर), लंबा (ल+ं+बा)।
2. **न के साथ**:
जब न के बाद कोई अन्य व्यंजन आता है और उच्चारण में नासिक्य ध्वनि होती है, तो बिंदी का प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरण: बैंक (ब+ं+क), मंशा (म+ं+शा)।
सारांश में, म और न के साथ बिंदी का प्रयोग उनकी ध्वनियों को नासिक्य बनाने के लिए किया जाता है।
Негізгі бет म और न का बिंदी के रूप में कैसे प्रयोग किया जाता है वर्णमाला के द्वारा समझिए
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