उत्तराखंड के 13 जिलों मे से 9 जिलों की अधिष्ठात्री देवी नन्दा/गौरा की असंख्य पूजा पद्धतियाँ हैं जिनमें सबसे विशद और विराट हर 12 वर्षोँ बाद होने वाली नन्दादेवी राजजात है।नन्दा का प्रमुख रूप व्याहता वहिन धियाण/चेलबेट्टी का है जो इस भूमि की छोटी आयु में विवाह दी गयी बेटियों की तरह अपने ससुराल कैलाश में कठोर और उदासी भरा जीवन विताती है, तीब्र विछोह "खुद/नराई" महसूस करती है और फिर उसे बुलाना भूल बैठे मायके में अभिशाप पैदा कर खुद को मायके बुलवाती है।
नन्दा का दूसरा रूप महिषमर्दिनी का भी है।
नन्दा के मायके और ससुराल के संसार के संम्बन्धों को दर्शाते विभिन्न अनुष्ठानों में से एक क्वीली -कुरझण -बड़कोटी और पाली-सणगू-टेमना की 12 वर्षीय "पातबीड़ा" भी है।
इस वृत्त-चित्र (2023)में "खुद" की इन भावनाओं और आध्यात्मिकता के ज्वार को समेटने का छोटा सा प्रयास किया गया है।
Негізгі бет Maa Nanda Devi Paat Beeda Mahotsav - माँ नंदा देवी पात बीड़ा महोत्सव ग्राम (क्वीली - कुरझंण्- बड़कोटि)
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