प्रेम बानी राधास्वामी भाग तीसरा बचन - 24
प्रेम तरंग भाग - 4
शब्द - 3
मैं हुई सखी अपने प्यारे की प्यारी ।। टेक ।।
सेवा में नित हाज़िर रहती ।
हरख हरख नित रूप निहारी ।।
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Негізгі бет मैं हुई सखी अपने प्यारे की प्यारी ।।
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