मैं रहता ही नहीं। तत्व हल्के आवरण हट रहे हैं। मन बुद्धि संस्कार उपरां हो रहा है। सबको बेहद की पररम शांति। परमशांति.ओआरजी. भी देखें। बेहद का महिपरिवर्तन हो रहा है।
@kusumjain4191
Жыл бұрын
🙏🙏🙏
@ranveerpachar5283
Жыл бұрын
बहुत बहुत आभार 🙏🙏
@MadanLal-oc9lt
Жыл бұрын
अपने आप को कुछ मत मानो जो है वह है🌹🌹🙏🙏🌹🌹
@programmersujata
Жыл бұрын
🙏💐😇🙂
@radhapatel7376
Жыл бұрын
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
@sureshdalvi5689
Жыл бұрын
धन्यवाद 🙏
@RajeshYadav-vq1im
Жыл бұрын
I like
@mbasavaraajbasavaraj784
Жыл бұрын
Om namahshivaay🙏🙏🙏
@SanjeevKumar-em9rt
Жыл бұрын
🙏🙏
@rajdev4644
Жыл бұрын
I am nothing= I am everything
@dilurai9242
Жыл бұрын
हे भगवान 🙏🙏🙏
@anjaligupta2369
Жыл бұрын
Mera bhi ye he Question ❓ hai ki mai beavhar me apne atma swaroop me hamesha kaise Hosh me rahu please Reply I 🙏🙏🙏Hari om 🙏🙏
@rajdev4644
Жыл бұрын
Mene khud ko bahut talasha, jab jana jo talash raha hai bus v surat hi mein hun,
@waheguruji6310
Жыл бұрын
बिल्कुल गलत। जो तलाश रहा है वह झूठ है . जब तलाश खत्म होकर शून्य हो जाएंगे तो वही चेतन शून्यता आत्मा है । जिसमें कोई प्रश्न नहीं उठता , प्रश्न हमेशा मन में उठते हैं ,मन सिर्फ एक विचार है , मन का अस्तित्व नहीं है
@binodroka1
Жыл бұрын
🪔👏🧘♂️
@satishmahajan8645
Жыл бұрын
मन का अभाव - ही आतमा का भाव, मै। नही अहम। यानि अहंकार , अहंकार , अहम हाँ और वह वरहम है- मै शरीर मन - वुधी - ईनदरिया विषय और संसार नही - मै जन्म मरन से रहित , आतमा जो परमातमा का ही अँ श ह मैं - मे नही शरीर नही आतमा हूँ जो जन्मती मरती नही इस लिए आतमा को जानना की मैआतमा हू शरीर नही - जन्मता मरता / शरीर है - आतमानही
@manjutripathi2490
Жыл бұрын
Gyan kese ho
@dharmapalsharma2679
Жыл бұрын
😂🌺☪️🕉️✝️🔯☮️☯️🕎🌺😂 मैं हूँ, मैं क्या हूँ, मैं कौन हूँ ?🧐 नेती…नेती… नेती से आगे इति… इति…इति✅🌺 दिव्य यात्रा निरंतर और अब स्थिति हैः- मैं क्या नहीं हूँ ? मैं कौन नहीं हूँ ? मैं ही मैं हूँ✅🌺✝️🕉️☪️🕎☯️☮️🔯🌺✅
@falansh716
Жыл бұрын
Nmn
@waheguruji6310
Жыл бұрын
जब सब तलाश छूट जायेगी तलाशने वाला रह नही जाएगा तब जो शून्यता बचेगी वही तुम हो , वही आत्मा है और उसका स्वभाव मौन है वह दृष्टा , बोध मात्र है , होश मात्र है , ध्यान ही हमारी आत्मा है ।। जब ये कॉमेंट लिखने वाला भी मिट जाएगा और यूट्यूब पर sreach करना भी छूट जाएगा अपने आप वो अनंत शांति है ।। अभी तो अशांति है , ये अशांति ही तो मन है यही तो आत्मा को खोज रही है जो अशांति है , जब अशांति यानी मन जो ये विचार करता है ये मिटने के बाद शून्यता ही तो बचती है जो चैत्नय है । वही आत्मा है और आत्मा कभी घोषणा नही करती , घोषणा करने वाला तो अहंकार है । शुरुवात मौन से करो ।। मौन के बिना तुम कभी आत्मा को न जान सकोगे ।। मैं खुद 5 साल के लिए मौन हूं और कभी कभी रमन महर्षि जी के परवचन सुन लेता हूं । और मैं परिवार के साथ रहता हूं ना कि जंगल में , । ये संभव है । अशांति बाहर नहीं है मन ही अशांति का दूसरा नाम है ।। मन ही प्रश्नकर्ता है जिस मात्र में प्रश्न खत्म हो जाएंगे तो समझना उतना % मन खत्म हुआ ।।
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