#मकर_संक्रांति_पर_दियाबातीघी_का_नियम_और_नेगचार धर्म के नाम पर दान जरूर करे मंदिरो मे बहुत पुण्य मिलेगा 14 january धर्म के नाम से पुण्य जरूर कमाए
मकर संक्रांति के नेग कोनसी चौदह चीजे दान करे संकल्प कैसे लेवे पूरी विधि 14 january
मकर संक्रांति पर चौदह चीजे सुहागिनों को क्या देवे
वाह इस बार मैने मेरी बहन के कहने पर यह चौदह चीजे सुहागिनों को दूगी संकल्प की पूरी विधि
मकर सक्रांतिके दिन सुहागिनों को चौदह चौदह सामान का दान दिया जाता हे। इसमें आप सुहाग के सामान ले सकते हे जैसे चौदह बिन्दी के पैकेट , चौदहमेहँदी के पैकेट , चौदह कम्बल ,शाल, स्वेटर ,ब्लाउज के पीस ,14 लाख के चूड़े ,14 डिब्बे पाव पाव भर के तिल की मिठाई ,14 तोलिये ,14 गरम स्कार्फ ,14 पैकेट चीनी के ले लेवे पाव पाव भर ,14 ग्लास ,जग ,प्लेट। थाली, टिफ़िन ,कटोरी ,,14 मांग भरने की सिन्दूर के पैकेट ,अगर आप ज्यादा बड़ा देना चाहे तो चांदी की 14 बिजिया ,14 चांदी -सोने की अंगूठी, लॉन्ग, पायजेब ,मंगलसूत्र कुछ भी दे सकते हे। परन्तु हर साल अलग अलग चीजे जरूर दान करे ,ये सभी सामान सुहागिनों को पाँव छूकर देवे। इसका पुण्य अक्षय फल देने वाला होता हे।
मकर सक्रांति पर इस साल (2021) सास ससुर या सुहागन जोड़े को कल्पना में
क्या दे मकर संक्रांति पर दान और स्नान का विशेष महत्व मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यन्त शुभ माना गया है। इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गयी है। सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ:-छ: माह के अन्तराल पर होती है। भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है अर्थात् भारत से अपेक्षाकृत अधिक दूर होता है। इसी कारण यहाँ पर रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है। किन्तु मकर संक्रान्ति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। अतएव इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है। दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा तथा रात्रि छोटी होने से अन्धकार कम होगा। अत: मकर संक्रान्ति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है। प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होगी। ऐसा जानकर सम्पूर्ण भारतवर्ष में लोगों द्वारा विविध रूपों में सूर्यदेव की उपासना, आराधना एवं पूजन कर, उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की जाती है। सामान्यत: भारतीय पंचांग पद्धति की समस्त तिथियाँ चन्द्रमा की गति को आधार मानकर निर्धारित की जाती हैं, किन्तु मकर संक्रान्ति को सूर्य की गति से निर्धारित किया जाता है। इसी कारण यह पर्व प्रतिवर्ष १४ जनवरी को ही पड़ता है।
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मकर संक्रान्ति के दिन दान करने का महत्व अन्य दिनों की तुलना में बढ जाता है। इस दिन व्यक्ति को यथासंभव किसी गरीब को अन्नदान, तिल व गुड का दान करना चाहिए। तिल या फिर तिल से बने लड्डू या फिर तिल के अन्य खाद्ध पदार्थ भी दान करना शुभ रहता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार कोई भी धर्म कार्य तभी फल देता है, जब वह पूर्ण आस्था व विश्वास के साथ किया जाता है। जितना सहजता से दान कर सकते हैं, उतना दान अवश्य करना चाहिए। मकर-संक्रान्ति के दिन देव भी धरती पर अवतरित होते हैं, आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है, अंधकार का नाश व प्रकाश का आगमन होता है. इस दिन पुण्य, दान, जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का अनन्य महत्व है। इस दिन गंगा स्नान व सूर्योपासना पश्चात गुड़, चावल और तिल का दान श्रेष्ठ माना गया है। Hope you will enjoy this video..
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