नमस्कार दोस्तों चैनल में आपका स्वागत है और आज हम आपको लेकर आ चुके हैं चूरु , चूरु जिले में हम मालासी गांव में आ चुके हैं यहां पर एक मालासी भैरू का मंदिर है जो कि बहुत ही प्रसिद्ध है यह जयपुर से लगभाग 214 किलोमीटर की दूरी पर चुरू में है| कहते कि यहां पर प्रसाद चढ़ाने के बाद में इस प्रसाद को यहीं पर खाया जाता है घर पर लेकर नहीं आते हैं जो इस भेरुजी का प्रसाद खाता है उसकी मान्यता हो जाती है और उस व्यक्ति को किसी न किसी रूप में मालासी भैरू को मानना पड़ता है इसीलिए ही आप लोगों से निवेदन है कि मालासी भैरू का प्रसाद किसी अन्य व्यक्ति को ना दें जिसकी मान्यता है वह इस प्रसाद को खाएं यह वह भेरुजी हैं जोकि उल्टे कुएं में लटके हुए रहते हैं इन्हें कुवे वाले भेरुजी भी कहते हैं यह भेरुजी किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं जिनके मान्यता होती है वह यहां पर प्रसाद के रूप में तेल लड्डू ज्वार अगरबत्ती मौली आदि प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं जिन लोगों के काम हो जाते हैं या मुरादे पूरी हो जाती हैं वह लोग इस भेरुजी मंदिर में बकरे भी चढ़ाते हैं यह सालासर मंदिर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यहां पर नवरात्रों के दिनों में काफी भीड़ रहती है और दर्शन के लिए नवरात्रों में यहां पर लंबी-लंबी लाइने लगती है और दर्शन के लिए लोग यहां पर लंबे समय तक खड़े रहते हैं उसके बाद ही कुवे वाले भेरू जी के दर्शन होते हैं और अपनी मन्नतें मांगते हैं यह मंदिर एक आस्था का केंद्र है यह मंदिर दिखाई देने में छोटा है लेकिन इसकी मान्यता बहुत है।
मालासी गाँव को मालाराम दहिया जाट ने बसाया था । माला राम ने यहाँ एक कुँआ बनाया । माला राम दहिया के वंशज आज भी इस गाँव में काफी संख्या में बसते हैं । कहते हैं कि दहिया जाट की पुत्री को लेने जवाई आया । जवाई का नाम रिक्ता राम था । रिक्ता राम हंसमुख और मिलनसार नौजवान थे । ससुराल में शाम को औरतें कुकड़ला गीत गाने लगीं । सालियों और सालों को मजाक सूझी । वे रिक्ता राम को कुंवे पर ले गए और कुवें में उलटा लटका दिया । मजाक में जीजा रिक्ता राम के हाथ छूट गए और रिक्ता राम कुए में जा गिरा । उसके प्राण पखेरू उड़ गए । आस पास के गांवों के लोग इकट्ठे हुए और एक राय से फैसला किया कि जवाई रिक्ता राम प्रेम के प्रतीक के रूप में कुर्बान हुए अतः ये बाल बच्चों के देवता माने जायेंगे । तभी से उन्हें 'रिक्त्या भैरू' के रूप में पूजा जाता है । नवजात बच्चों का जडूला यहाँ इस गाँव के कुए पर चढाया जाता है । यहाँ देश के कोने कोने से लोग आते हैं जैसे हरयाणा, पंजाब, दिल्ली, आसाम, मध्य प्रदेश, गुजरात तक के श्रद्धालु आते हैं ।
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Негізгі бет Malasi Bheru Ji
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