#success #meditation #brain आप जब क्लास में होते हैं तो अध्यापक पढ़ाने से पहले कहते है की मन लगाकर सुनो, आप किसी कथा पंडाल में होते हैं तो कथा वाचक कथा बांचने से पहले कहता है कि मन लगाकर सुनो, कहने का तात्पर्य है की आपका मन ही सुनता है, शरीर तो बिलकुल ही नहीं सुनता है। गीता जैसे धार्मिक और मशहूर ग्रंथ में भी कई जगह भगवान कृष्ण कहते हैं कि - हे अर्जुन ध्यान से सुनो या मन लगाकर सुनो। मैं अगर कहूं कि सुनाने वाला इस बात का ज्ञानी है कि शरीर नहीं, मन सुनता है तो कोई गलत नहीं होगा। शरीर से मन को निकाल देने पर ज़ीरो ही बचता है। मन मूल्यवान है, मन महत्वपूर्ण है और मन जिसका स्थिर है, वहीं विद्वान हैं। स्टूडेंट के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह अपने मन की महत्ता को समझें और अपने मन के साथ संबंध बनाने का प्रयास करें। मन से जुड़ने पर मन से लगाव हो जाता है फिर मन भटकता नहीं है। मन को साधने के लिए या मन को स्थिर करने के लिए ही प्राचीन साधु महात्मा ध्यान लगाते थे। स्टूडेंट को भी ध्यान लगाना चाहिए। ध्यान लगाने से स्वास्थ्य और मन की गति की स्थिरता मिलती हैं। फिर किसी भी बात को आप मन लगाकर सुनने लगते है या फिर कोई भी कार्य को मन लगाकर करने लगते हैं।
भारतीय शास्त्रों में या फिर अन्य धर्मों के ग्रंथों में मन लगाकर या चित और बुद्धि लगाकर सुनने की बात कही गई है। यह सोचने वाली बात है कहीं पर भी शरीर से सुनने की बात नहीं कही गई है। वैसे सुनने का काम तो कान करते हैं पर यह कहीं भी तो नहीं कहा गया है या कहा जाता है कि कान लगाकर सुनो। मैं आपको बता दूँ की कान तभी सुनते हैं जब आप मन लगाकर सुनते है। मन आपका कहीं और होगा तो फिर आप नहीं सुनेंगे। आपने बहुत से लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि अरे भाई मैं था तो वहीं पर, लेकिन मेरा मन कहीं और जगह था इसलिए मैं उनकी बातें सुन न सका और ये बिल्कुल ही सत्य है। कान केवल एक यंत्र है, ये तभी सुनते है, जब मन चाहता है इसलिए विद्वान व्यक्ति अपनी बात कहने से पहले एक बार नहीं, कई बार यह कहते हैं कि - मन लगाकर सुनो आपने देखा होगा की किसी चीज़ को व्यक्ति ढूँढता है और वह उसके सामने ही होती है लेकिन दिखाई नहीं देती है। वो देखता तब है जब मन लगाकर उस चीज़ को ढूंढना शुरू करता है। जब आदमी किसी काम को ढंग से नहीं करता है या उसके काम में खामियां नजर आती है तो सामने वाला अक्सर यही कहता है कि मन लगाकर काम किया करो, गलतियाँ नहीं होगी और काम भी अच्छा होगा।
लोग मूल बात को नहीं समझते। मन को कुछ समझते ही नहीं है। उन्हें तो बस यही लगता है कि शरीर में दम है, ताकत है, शरीर जवां है तो कोई भी कार्य आसानी से किया जा सकता है, लेकिन यह गलत है। शरीर वृद्ध हो जाने पर कहाँ कार्य कर पाता है, लेकिन जो लोग मन की शक्ति का इस्तेमाल करने में निपुण होते हैं वे वृद्ध शरीर से कार्य बड़ी सहजता से करते हैं।
कहते हैं ना की वह मन का बहुत ही कड़ा है। मन से बहुत ही साहसी है। वह मन का पक्का हैं जो एक बार ठान लेता है, उसे पूरा करके दम लेता है। इसके कहने का मतलब है की आप अपने मन को कड़ा बनाये साहसी बनाएँ, ताकि विभिन्न प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर सकें। आप कोई पुस्तक पढ़ते है, आप क्लास में किसी प्रोफेसर का लेक्चर सुनते हैं, आप कहीं कोई चीज़ देखते हैं और आपने इनमें से किसी को भी समझा नहीं तो आपने अपना इतना समय यूं ही बर्बाद किया। क्या फायदा आपने कुछ भी हासिल नहीं किया चित और बुद्धि को किसी काम में लगाने पर ही काम में सफलता मिलती है। मन ही बातों को आप की आवश्यकता के अनुसार बदलकर आपकी बुद्धि तक पहुंचाता है। मन को आपने अपने वश में नहीं किया तो आप मनोनुकूल परिणामों की उम्मीद बिलकुल ही ना करे। मन एक सफल कन्वर्टर है। आपने उसे अपने नियंत्रण में ले लिया तो वह आपके अनुसार काम करता रहेगा। मन ही बताता है कि यह बात काम की है या बेकार है। मन ही बताता है की ये चीज़ महत्वपूर्ण है और वो चीज़ कोई खास नहीं है। मन आपके खिलाफ़ है या आपके नियंत्रण में नहीं है तो फिर वह किसी भी बात या विषय को अपने हिसाब से कन्वर्ट करता रहेगा अर्थात वह आप के अनुसार काम नहीं करेगा। ये बहुत जरूरी है कि आप अपने मन को जबरदस्ती नहीं बल्कि प्यार से अपने वश में लेने का प्रयास आज से ही प्रारम्भ कर दें। मन ही आपको बताता है की यह कार्य आपके अनुकूल हैं और वह कार्य आपके प्रतिकूल है। अच्छे बुरे की पहचान भी मन ही करता है। मैंने लोगों को यह कहते हुए अक्सर ही सुना है कि मेरा मन गवाही नहीं दे रहा है तो मैं कैसे फला कार्य के लिए हाँ कर दू, मेरा मन जानता है कि वह कार्य मैंने नहीं किया है, आज मेरा मन कर रहा है की मैं पांव भाजी खाऊं, वो लड़की मेरे मन को भा गयी है बगैर वैगेरा। अब आप ही बताइए जब सब कुछ मन ही करता है तो फिर मन को महत्त्व क्यों नहीं दिया जाए?
Негізгі бет मन की महत्ता: सुनने और समझने का रहस्य // The secret of listening and understanding
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