अक्षर ब्रह्म की पांच आत्माएं हैं जिन्होंने दुनिया में अखंड का पैगाम दिया है इसका पता जागृत बुद्धि से चलता है जागृत बुद्धि कलयुग बुद्ध शाखा में पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद के आवेश अवतार श्री विजियाभिनंद बुद्धनिष्कलंक द्वारा प्रकट हुई है। अक्षर ब्रह्म की पांच आत्माएं कबीर जी सुखदेव जी सनकादिक शिव और बिष्णु जी है। वेदों में केवल निराकार साकार का ज्ञान है निराकार साकार माया है यजुर्वेद का मंत्र है संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है। वेदों में पूर्ण ब्रह्म का ज्ञाननहीं है तो पूर्ण ब्रह्म का नाम कहां से आ गया। कम से कम कबीर जी की वाणी पर विचार तो कर लेतेहैं। वेद थके ब्रह्मा थके थक गए शेष महेश। गीता को जहां ग़म नहीं वह सद्गुरु का देश।।🎉🎉
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