एनडीटीवी इंडिया के पत्रकार #KamalKhan हया से आज़ाद हो चुकी टेलीविज़न पत्रकारिता की आंखों की बची हुई शर्म थे. जिन तमाम बुराइयों, नाकामियों, बेशर्मियों, नफरतों, फरेबों के जाल में टेलीविज़न पत्रकारिता उलझी हुई है, कमाल ख़ान उन सबका प्रति संतुलन थे. तराजू के दूसरे पलड़े पर पूरी मजबूती से जमे हुए, उसे संतुलित रखने की कोशिश करते हुए. जब कोई टेलीविज़न पत्रकारिता की बुराई करे तो यह कहा जा सकता था कि बोलने से पहले ये खयाल कर लें कि उसके पास कमाल खान है. कमाल खान बुरी तरह से उघड़ी हुई टेलीविज़न पत्रकारिता की पीठ का मजबूत कवच थे. जब टेलीविज़न पत्रकारिता संविधान से, साहित्य से, समाज से, तहजीब से, तल्लफुज़ और अल्फाज़ से दूर है, उस दौर में कमाल खान इन सभी तत्वों से मिलकर बने एक आदर्श टेलीविज़न पत्रकार थे. कमाल खान इंसान थे, वाजिब है कि उनमें तमाम इंसानी खामियां, बुराइयां भी रही हों लेकिन कमाल खान, कमाल के पत्रकार थे.
#TVJournalism की गरीबी के इन दिनों में भी खबरिया चैनलों की दुनिया दिन ब दिन अमानुष एंकर एंकराओं की शरणस्थली बना हुआ है. या यूं कहें कि लफंगई भी यहां सम्मान और शरण पा जाती है. मसलन बलात्कार जैसे संवेदनशील मामले में अगर आपको मेरा-तेरा देखना हो तो इस हफ्ते न्यूज़ 18 इंडिया पर #AmanChopra का शो देखना चाहिए. खबरिया चैनल जिन बुराइयों और बीमारियों से जूझ रहे हैं, अमन चोपड़ा और उसका शो उन सबका एक साथ प्रतिनिधित्व करता है. जानिए कैसे?
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Негізгі бет Modi-Yogi: महाबली के कुनबे में खलबली और Kamal Khan का निधन l NL Tippani Episode 94
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