ज़मीन से अर्श तक है चर्चा हुसैन का!!
जन्नत में भी चलेगा सिक्का हुसैन का!!
हैदर के लाल वो नवाश ए रसूल हैं...
खुदा नें कितना बुलंद किया मर्तबा हुसैन का!!
फ़क़त इसलिए हमने रहबर उन्हें माना है..
वो हैं मुस्तफ़ा के, और मुस्तफ़ा हुसैन का!!
एक तरफ रख दो दुनिया की सारी इबादतें..
है उनसे भी ऊपर कर्बला में सजदा हुसैन का!
मिल गयी जन्नत की सरदारी मेरे सब्बीर को..
खुदा को यूं भा गया अदा हुसैन का!!
मिटा दी अपने आल को दिन के खातिर..
इस कदर खुदा से है वफा हुसैन का!!
तुम लगाते हो कर्बला में पानी पे पहरे..
अरे जाम ए कौसर पे कब्जा हुसैन का!!
ज़मीन से अर्श तक है चर्चा हुसैन का!!
जन्नत में भी चलेगा सिक्का हुसैन का!!
हैदर के लाल वो नवाश ए रसूल हैं...
खुदा नें कितना बुलंद किया मर्तबा हुसैन का!!
फ़क़त इसलिए हमने रहबर उन्हें माना है..
वो हैं मुस्तफ़ा के, और मुस्तफ़ा हुसैन का!!
एक तरफ रख दो दुनिया की सारी इबादतें..
है उनसे भी ऊपर कर्बला में सजदा हुसैन का!
मिल गयी जन्नत की सरदारी मेरे सब्बीर को..
खुदा को यूं भा गया अदा हुसैन का!!
मिटा दी अपने आल को दिन के खातिर..
इस कदर खुदा से है वफा हुसैन का!!
तुम लगाते हो कर्बला में पानी पे पहरे..
अरे जाम ए कौसर पे कब्जा हुसैन का!!
ज़मीन से अर्श तक है चर्चा हुसैन का!!
जन्नत में भी चलेगा सिक्का हुसैन का!!
हैदर के लाल वो नवाश ए रसूल हैं...
खुदा नें कितना बुलंद किया मर्तबा हुसैन का!!
फ़क़त इसलिए हमने रहबर उन्हें माना है..
वो हैं मुस्तफ़ा के, और मुस्तफ़ा हुसैन का!!
एक तरफ रख दो दुनिया की सारी इबादतें..
है उनसे भी ऊपर कर्बला में सजदा हुसैन का!
मिल गयी जन्नत की सरदारी मेरे सब्बीर को..
खुदा को यूं भा गया अदा हुसैन का!!
मिटा दी अपने आल को दिन के खातिर..
इस कदर खुदा से है वफा हुसैन का!!
तुम लगाते हो कर्बला में पानी पे पहरे..
अरे जाम ए कौसर पे कब्जा हुसैन का!!
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Негізгі бет Muharram ki shayri||इमाम हुसैन की शहादत की याद में||by Md Meraj uddin
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