#नीलिमा शर्मा की कहानी-कोई रिश्ता न होगा अब
Neelima Sharrma ki kahani
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हिन्दी कहानी
#स्वर-सीमासिंह
@aajsuniye
पुरवाई पत्रिका की उप सम्पादक
नीलिमा शर्मा की कहानियों में मनोविज्ञान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि वह अपने पात्रों के मानसिक दशाओं, उनके विचारों और भावनाओं को बहुत ही सूक्ष्मता से चित्रित करती हैं। नीलिमा की कहानियों में पात्रों के मनोवैज्ञानिक पहलुओं को समझने के लिए कई बार मनोविज्ञान के सिद्धांतों और अवधारणाओं का उपयोग किया जाता है।
देहरादून/ मुजफ्फरनगर की नीलिमा शर्मा पुरवाई पत्रिका की उपसंपादक है । उनका एकल कहानी संग्रह कोई खुशबू उदास करती है और कविता संग्रह शनिवार के इंतजार में शिवना प्रकाशन से प्रकाशित हो चुका है । मुठ्ठी भर अक्षर, लुकाछिपी, खुसरो दरिया प्रेम का,मृगतृष्णा,तन पिंजरा मन बांवरा, पुरवाई कथामाला भाग एक और दो का संपादन किया। डिजिटल साहित्य के प्रथम उपन्यास की अवधारणा, संयोजन, संपादक करते हुए तेरह लेखिकाओं के साथ सहलेखन किया। पुरस्कृत उपन्यास हाशिए के हक का संपादन सहलेखन भी उन्होंने चार लेखिकाओं के साथ मिलकर किया।अनेक सम्मान प्राप्त नीलिमा की यह कहानी कन्या भ्रूण की हत्या के भीषण परिणामों की तरफ इशारा करती है।
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