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सूर्य की राशि के अनुसार अनुकूल दिशा में नींव खुदाई प्रारम्भ करना चाहिए। नींव पूजन हमेशा ईशान कोण में करें। नींव पूजन के पहले भूमि को समतल कर सफाई करना चाहिए। भूमि पर शुद्ध जल में सर्वोषधि, पंचामृत, पंचगव्य एवं गोवर मिलाकर भूमि पर छिड़काव करना चाहिए इससे भूमि शुद्ध होती है।
इसके बाद गोवर से लीप कर उस पर चावल से अष्ट कमल दल बनाना चाहिए। उस पर कलश स्थापना करना चाहिए। इसके बाद पुण्याहवाचन, गणेश पूजन, नवग्रह पूजन, कलश पूजन, वास्तु देवता का पूजन, शिला पूजन, 45 देवताओं की बलि, हवन, आरती एवं प्रार्थना करना चाहिए। इसके उपरांत नंदा शिला को ईशान कोण में, भद्रा शिला को आग्नेय कोण में, जया शिला को नैरत्य कोण में, रिक्ता शिला को वायव्य कोण में, पूर्णा शिला को ब्रह्म स्थान में स्थापन करना चाहिए। उनके ऊपर वास्तु कलश स्थापना कर दीपक जलाना चाहिए। इसके बाद शिलाओं पर चुनाई कर ढक देना चाहिए।
Негізгі бет नींव पूजन विधि। भूमि पूजन विधि। Pandit Rajesh Mishra
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