श्रेय:
संगीत एवम रिकॉर्डिंग - सूर्य राजकमल
लेखक - रमन द्विवेदी
भक्तों नमस्कार! प्रणाम! और सादर अभिनन्दन! भक्तों आज हम आपको अपने लोकप्रिय कार्यक्रम दर्शन के माध्यम से जिस मंदिर की यात्रा करवाने जा रहे हैं वो ऐसा मंदिर है जिसमें विराजमान शिवलिंग की रखवाली आज भी एक मणिधारी नाग करता है। कहा जाता है कि श्रद्धा और विश्वास के साथ यहाँ आने वाला कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं लौटता, यहाँ हर किसी के मनोरथ सिद्ध होते हैं। भक्तों हम बात कर रहे हैं नाथनगरी के नाम से विख्यात उत्तरप्रदेश के बरेली स्थित मढ़ीनाथ मंदिर की।
मंदिर का इतिहास और जनश्रुतियां:
भक्तों, मढ़ीनाथ मंदिर नाथ नगरी बरेली के प्रमुख सुप्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है। इस मंदिर से सम्बद्ध एक जनश्रुति के अनुसार - इस स्थान पर एक तपस्वी संत रहा करते थे। उन्होंने यहाँ से गुजरने वाले राहगीरों की प्यास बुझाने हेतु एक कुआं खोदना प्रारंभ किया। खुदाई के दौरान वहां एक शिवलिंग प्रकट हुआ। जिसके चरों ओर एक मणिधारी नाग लिपटा हुआ था। इसके बाद यहाँ के मंदिर की स्थापना की गयी तथा कुआं की खुदाई के दौरान प्रकट हुए शिवलिंग को मंदिर में प्रतिष्ठित कर दिया गया। तभी से यहाँ प्रतिष्ठित शिवलिंग मढ़ीनाथ तथा ये मंदिर मढ़ीनाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया। भक्तों मढ़ीनाथ मंदिर जुड़ी दूसरी जनश्रुति के अनुसार- की स्थापना प्राचीन समय में एक सिद्ध बाबा ने की थी। एक दिन आस पास के साधु संत तह धर्माचार्यों को वहां भंडारे के लिए आमंत्रित किया गया। सभी साधू संत और धर्माचार्य वहां पहुंचकर मंदिर में स्थापित शिवलिंग का दुग्धाभिषेक करना प्रारंभ किया तो एक महात्मा को दूध कम पड़ गया। उक्त संत ने जब सिद्ध बाबा से अभिषेक के लिए दूध मांगा तो बाबा ने योग क्रिया से पास के कुएं के पानी को ही दूध में परिवर्तित कर दिया। बताया जाता है कि कुएं का जलस्तर की भांति दूध का स्तर बढ़ गया और दूध के बीचोबीच शिवलिंग प्रकट हुआ। जिसे मंदिर के बीचोबीच स्थापित कर दिया गया।
मणिधारी नाग करता है शिवलिंग की रखवाली:
भक्तों मढ़ीनाथ मंदिर में आज भी एक मणिधारी नाग शिवलिंग की रक्षा करता है। मंदिर के सेवादार और पुजारी बताते हैं कि अबतक ऐसे कई अवसर आयें जब मंदिर परिसर में रहनेवाले मणिधारी नाग ने अपनी मणि बाहर निकाली और मणि से फैलनेवाले तेज प्रकाश को मंदिर परिसर में रहनेवाले लोगों ने देखा। वर्तमान में वो मणिधारी नाग ने मंदिर परिसर के एक जीर्ण हो चुके कमरे में डेरा डाल रखा है।
कुएं से निकलता था दूध:
भक्तों मढ़ीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी धर्मेंद्र गिरी बताते है कि वर्ष 1960 तक यहाँ स्थित प्राचीन कुएं से दूध निकलता था। कई बार कुएं की सफाई करायी गई। इस दौरान दूध की महक कुएं से आयी। कई साल पूर्व निगम प्रशासन ने कुएं की सफाई करायी थी। उसके बाद से कुएं की सफाई बंद है।
भक्तों की आस्था का केंद्र:
भक्तों बरेली वर्षो से श्री मढ़ीनाथ मंदिर हजारों श्रद्धालु भक्तों की गहरी आस्था का केंद्र है। समय-समय पर यहां धार्मिक आयोजन होते हैं तो शाम ढलते ही आस्था की बयार बहने लगती है। मंदिर खुलने के तय समय से पहले ही श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। सुबह-शाम शंख और घंटों की ध्वनि के बीच यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को आनंद प्रदान करती है। दूरदराज से हजारों श्रद्धालु यहाँ आकर मनौती मांगते हैं और और भगवान् भोलेनाथ से अपना मनोरथ पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं। क्योंकि लोगों को विश्वास है कि भगवान् मढ़ीनाथ सच्चे मन और विशुद्ध अन्तःकरण से प्रार्थना करनेवाले भक्तों की हर इच्छा पूरी होती है।
नाथनगरी बरेली:
भक्तों बरेली शहर के चार कोनों पर अलखनाथ, धोपेश्वरनाथ, त्रिवटीनाथ और मढ़ीनाथ, चार नाथ मंदिर स्थित हैं। इसलिए बरेली देश और दुनिया में नाथनगरी के नाम से विख्यात है। द्वापर युग में पांचाल साम्राज्य की अनमोल थाती को अपने आंचल में समेटे बरेली की सांस्कृतिक विरासत काफी समृद्ध रही है।
मंदिर परिसर:
भक्तों मढ़ीनाथ मंदिर परिसर में मढ़ीनाथ शिवलिंग के अतिरिक्त कई अन्य छोटे छोटे शिवलिंग प्रतिष्ठित हैं। इस मंदिर में के प्रवेश करते ही दायीं ओर दुर्गा माता जी का मंदिर है, जिसके गर्भगृह माँ जगदम्बा दुर्गा की भय दिव्य और बड़ी मनोहर मूर्ति विराजमान है. मंदिर के पीछे एक बहुत प्राचीन पीपल का वृक्ष है, सभी श्रद्धालु और भक्त इस पीपल वृक्ष की पूजा अर्चना किया करते हैं। मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुआं भी है ये कुआं मढ़ीनाथ शिवलिंग के बुनियाद में स्थापित है। इस मंदिर परिसर में कुछ संतों की समाधियाँ स्थापित हैं।
नजदीकी दर्शनीय स्थल:
भक्तों अगर आप नाथनगरी बरेली स्थित मढ़ीनाथ के दर्शन को जा रहे हैं तो बरेली स्थित त्रिवतीनाथ, माखीनाथ, अलखनाथ मंदिर, सीताराम मंदिर, आनंद आश्रम, बनखंडीनाथ भागवत महावीर मंदिर भैरवनाथ मंदिर, भोलेनाथ मंदिर, कुरुक्षेत्र नगर, चौरासी घट्टा मंदिर, गौरीशंकर मंदिर, हनुमान मंदिर, सिविल लाइंस हरि मंदिर, हाथीवाला मंदिर, साहूकारा, इस्कॉन मंदिर, बरेली जगन्नाथ मंदिर, जगमोहनेश्वर मंदिर कांकेर, कुआंनाथ, लक्ष्मी नारायण मंदिर, एमए काली मंदिर, कालीबाड़ी मंदिर, सेठ गिरधारी लाल मठ, तुलसीस्थल, नवदेवी मंदिर, राधा माधव संकीर्तन मंडल और बी आई शिव मंदिर का दर्शन करना न भूलें। क्योंकि इन स्थानों का दर्शन किये बिना आपकी बरेली यात्रा पूरी नहीं हो सकती।
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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Негізгі бет नाथनगरी बरेली का चमत्कारी मढ़ीनाथ शिव मंदिर | उत्तर प्रदेश | 4K | दर्शन 🙏
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