नवधा भगति कहउँ तोहि पाहीं।
सावधान सुनु धरु मन माहीं॥
प्रथम भगति सन्तन कर सङ्गा।
दूसरि रति मम कथा प्रसङ्गा॥१॥
गुरुपद पंकज सेवा, तीसरि भगति अमान।
चौथी भगति मम गुनगन, करइ कपट तजि गान।।
मन्त्र जाप मम दृढ़ बिस्वासा।
पञ्चम भजन सो बेद प्रकासा॥
छठ दम सील बिरति बहु करमा।
निरत निरन्तर सज्जन धरमा॥
सातवँ सम मोहि मय जग देखा।
मोतें सन्त अधिक करि लेखा॥
आठवँ जथा लाभ सन्तोषा।
सपनेहुँ न देखइ परदोषा॥
नवम सरल सब सन छलहीना।
मम भरोस हिय हरष न दीना॥
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Негізгі бет नवधाभक्ति वर्णन|तुलसीदास जी|Navdha Bhakti|Tulsidas|जरूर सुनें🙏🏻
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