शारदीय नवरात्र अनुष्ठानम्
इस वर्ष शारदीय नवरात्र का शुभारंभ 3 अक्टूबर से हो रहा है। गृहस्थ तंत्र परिवार के द्वारा भव्य नवरात्र तंत्रोक्त अनुष्ठान आयोजन महाविद्या तंत्र पीठ पर की जा रही है। भगवती कृपा से हर अनुष्ठान की भांती इस अनुष्ठान के विधानों में भी वृद्धि की गयी है तथा संबंधित साधकों को निमंत्रण दे दिया गया है। तैयारी आरंभ हो गयी है। आप सभी नवरात्र के इस महोत्सव में अपना संकल्प सम्मिलित करने हेतु बेवसाइट पर पधारें। संबंधित फार्म www.grihasthta... पर उपलब्ध है।
🔱शारदीय नवरात्र अनुष्ठानम् चंडी पाठ
अगर आप नवरात्र में घर पर कुछ नहीं कर पा रहें। कलश स्थापना अथवा पूर्ण पूजन करवाने लायक सामर्थ्य नहीं है तो आप नवरात्र में पाठ हेतु संकल्प कर सकतें हैं जिसमें नवचंडी पाठ के संकल्प में आपका भी संकल्प लिया जायेगा व नवरात्र उपरांत आपको प्रसाद जायेगा।
🔱नवचंडी घट स्थापना
शारदीय नवरात्र के नौ पुण्यमयी दिनों में भगवती की प्रसन्नता हेतु आप अपने नाम से संकल्पित नवचंडी व्यक्तिगत कलश स्थापना करवा सकतें हैं। साथ ही नौ महारात्रियों में होने वाले चंडी पाठ में भी आपका सामुहिक संकल्प रहेगा। विजयदशमी उपरांत आपको प्रसाद व आपके कलश के भीतर उपस्थित पुंगीफल(सुपारी) जो नौ दिनों तक के अनेक चंडिका पाठ व अर्चन हवन आदि से साक्षात दैवी गुणों से युक्त हो चुका रहेगा भेजा जायेगा। सुपारी को एक धातु पात्र में बंद कर पूजन स्थान पर रखें तथा नित्य धुप दीप दिखायें। हर वर्ष के दोनों नवरात्र कलश की सुपारी को एकत्रित करते रहें।
🔱नवचंडी ज्योति कलश स्थापना
भगवती नवरात्र के समय जिन स्थानों पर विराजित होतीं हैं उनमें से एक है अखंड ज्योत। कलश के ऊपर अखंड ज्योत प्रज्ज्वलित करने से वह कलश ज्योति कलश का स्वरुप धारण करतीं हैं। भगवती के अधिकतर उग्रतम स्वरुपों को ज्योति कलश अत्यंत प्रिय है। आप इस शारदीय नवरात्र अपने नाम से संकल्पित अखंड ज्योति युक्त ज्योति कलश की स्थापना तंत्र पीठ पर करवा सकतें हैं। इसके साथ ही नित्य अभिषेकम्, नवचंडी पाठ , हवन कन्या पूजन में आपका संकल्प उपस्थित रहेगा। विजयदशमी उपरांत आपको प्रसाद व आपके संकल्पित भगवती के प्रचंड ज्योति कलश के भीतर उपस्थित पुंगीफल(सुपारी) जो नौ दिनों तक के अनेक चंडिका पाठ व अर्चन हवन आदि से साक्षात दैवी गुणों से युक्त हो चुका रहेगा भेजा जायेगा। सुपारी को एक धातु पात्र में बंद कर पूजन स्थान पर रखें तथा नित्य धुप दीप दिखायें। हर वर्ष के दोनों नवरात्र कलश की सुपारी को एकत्रित करते रहें।
🔱 नवरात्र चंडिका याग
नवरात्र के विभिन्न पूजन अनुष्ठानों में यह अनुष्ठान हर उन भक्तों के लिए लाभकारी रहेगा जिनके जीवन में ज्ञात अज्ञात कारणों से अनेक संकट एक साथ उपस्थित हो चुकें हैं।इस नवचंडिका सपर्या में सम्मिलित हुये भक्तों का संकल्प तंत्रोंक्त नवचंडी पाठ में व्यक्तिगत रहेगा। साथ ही अखंड ज्योति कलश की स्थापना व्यक्तिगत होगी व नित्य पाठ उपरांत एकतंत्रेणानुसार नारिकेल बलि आदि विधाओं का प्रयोग भी किया जायेगा। नवमी को हवन कन्या पूजन व विजयदशमी उपरांत आपको प्रसाद व आपके संकल्पित भगवती के प्रचंड ज्योति कलश के भीतर उपस्थित पुंगीफल(सुपारी) जो नौ दिनों तक के अनेक चंडिका पाठ तथा अनेक तंत्रोक्त नवचंडी पाठ व अर्चन हवन आदि से साक्षात दैवी गुणों से युक्त हो चुका रहेगा भेजा जायेगा। सुपारी को एक धातु पात्र में बंद कर पूजन स्थान पर रखें तथा नित्य धुप दीप दिखायें। हर वर्ष के दोनों नवरात्र कलश की सुपारी को एकत्रित करते रहें।
साथ ही एक चंडिका रक्षा कवच (शुद्ध चांदी) आपको भेजा जायेगा जिसे सदैव कंठ अथवा बाहु में धारण करना है।
🔱व्यक्तिगत नवचंडिका नवरात्र सपर्या
संपूर्ण नवरात्र नवचंडिका महाविद्या सपर्या अनुष्ठान के अंतर्गत सम्मिलित होने वाले साधकों का व्यक्तिगत संकल्प होगा जिसमें अखंड ज्योति कलश की स्थापना, नित्य संपुट चंडी पाठ , नित्य महायंत्र राजसी अभिषेकम्, श्रृंगार, सहस्रार्चन, रात्रिकालीन तंत्रोक्त आवरण मंडल पूजनं तथा तांत्रिक बीज संपुट सहस्रचण्डिका बीज पाठ, चौंसठ योगिनी अष्टमातृका खप्पर पूजन नित्य रात्रि याग उपरांत तथा एकतंत्रेणानुसार नारिकेल बलि आदि विधाओं से भगवती की प्रसन्नता हेतु विधि विधान किया जायेगा। महासप्तमी श्रृंगार , महाअष्टमी तंत्रोक्त पूजन, संधि पूजन संपूर्ण बलिदान सहित, महानवमी पूजन, विजयदशमी अपराजिता मंडल पूजन होगा। विसर्जन पश्चात आपको ज्योत घट मध्य उपस्थित पुंगीफल जो पूरे नवरात्र अनेको मंत्र पाठों से युक्त होकर दैवीय गुणों को धारण कर चुका होगा प्रसाद सहित आपको भेजा जायेगा। साथ ही एक नवचंडिका रुद्राक्ष माला, श्री अपराजिता कवच (शुद्ध चांदी में निर्मित) व सिंहरत्न मणिबंध (made in pure silver) भी भेजा जायेगा। यह सब दिव्य रक्षात्मक वस्तुओं का प्रयोग संकल्पित यजमान सहित उनके परिवार जन कर सकते हैं।
दिव्य नवरात्र के परम पुण्यदाई काल पर विशेष समयानुसार कुछ तंत्रोक्त रक्षा कवच का निर्माण भी किया जायेगा जिसमें अपराजिता कवच, कामाख्या दस महाविद्या कवच, निकुंभला शाबरी कवच, अघोर काली कवच, बटुक भैरव कवच, महाभैरव कवच आदि उपस्थित हैं।
आगामी काल भैरव जयंती जो 23 नवंबर को रहेगा उस दिन गृह पर विराजमान करने हेतु श्री बटुक भैरव तंत्रोक्त विग्रह भी उपस्थित है जो पीठ यंत्र सहित है।
आप अपने साधना व इच्छा अनुसार सभी तंत्रोक्त अनुष्ठान व सामग्रियों की प्राप्ति हेतु www.grihasthta... पर पधारकर फार्म समय रहते भर दें।
श्री विंध्यवासिनी सदा सहाय 🔯🙏🔱
जय मां विंध्यवासिनी।। श्री भगवती महादुर्गायै नमः।। आप सभी सनातनी बंधुओं व माताओं-बहनों का सुस्वागत है
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Негізгі бет नवरात्र देवी रहस्य साधना। कल्प विधान।
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