श्रीखंड महादेव यात्रा -2022
शिव शंकर भगवान को भोलेनाथ भी कहा जाता है । भोलेनाथ जब अपने भक्तों की तपस्या से प्रसन्न हो जाते थे तत्काल वरदान दे देते थे । वहीं वरदान भोलेनाथ की परेशानियों का कारण बन जाता था।श्रीखंड महादेव भी भोलेनाथ की दयालुता का प्रमाण है । श्रीखंड यात्रा शैव भक्तों की पग- पग पर परीक्षा लेती है ।
श्रीखंड महादेव हिमाचल प्रदेश के आनी उपमंडल के निरमंड खंड की 18570 फीट की ऊंचाई पर पर्वत के शिखर पर स्थित है। भोले बाबा की यहां से 35 किलोमीटर की कठिनतम,जोखिम भरी यात्रा है। लेकिन प्रकृति का अनूठा संगम रोमांचित कर देता है। श्रीखंड यात्रा के लिए 25 किलोमीटर की सीधी चढाई श्रद्धालुओं के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होती है। कई दफा तो इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को भारी बाधाओं का सामना करना पड़ता है ।
श्रीखंड महादेव की पौराणिक मान्यता है कि शिव महापुराण में वर्णित है कि भस्मासुर राक्षस ने अपनी तपस्या से शिव को प्रसन्न करने करने उपरान्त वरदान मांगा था कि आप मेरे तप से प्रसन्न है तो वरदान दीजिए कि मैं जिसके सिर पर अपना हाथ रखेगा तो वह भस्म होगा। भोलेनाथ ने वरदान दे दिया कि तथास्तु । भस्मापुर का राक्षसी भाव होने के कारण उसने माता पार्वती से शादी करने की ठान ली।इसलिए भस्मापुर ने शिव के ऊपर हाथ रखकर उसे भस्म करने की योजना बनाई लेकिन भगवान विष्णु ने उसकी कामना को नष्ट किया। विष्णु ने माता पार्वती का रूप धारण किया और भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने के लिए राजी किया। नृत्य के दौरान भस्मासुर ने अपने सिर पर ही हाथ रख लिया और भस्म हो गया।
( आज भी वहां की मिट्टी व पानी दूर से लाल दिखाई देते हैं ) शंका:-वध करने पर रक्त प्रवाह होता है लेकिन भस्म होने पर नहीं ?
उतर :-राक्षस की शारीरिक रचना ऐसी हो की भस्म का रंग लाल हो और राक्षसों शरीर पर्वत के सामान होते थे ।
राक्षस के इस कृत्य से पार्वती डर गई यहां रो पड़ीं। कहते हैं कि उनके अश्रुओं से यहां नयनसरोवर का निर्माण हुआ। इसकी एक एक धार यहां से 25 किमी नीचे भगवान शिव की गुफा निरमंड के देव ढांक तक गिरती है
कथा के अनुसार पांडवों ने वनवास के दौरान इस पर्वत निवास किया तो उन्होंने कुछ समय यहां बिताया। इसके साक्ष्य वहां भीम द्वारा बड़े-बड़े पत्थरों का काटकर रखना बताया जाता है। भीम ने एक राक्षस को मारा था । जो शिव भक्तों को मारकर भक्षण कर जाता था । शिव आराधना करते भक्त संकरे मार्ग पर आगे बढ़ते जाते हैं। जाओं से आगे सिंहगाड, थाचडू, भीमडवारी, नयन सरोवर और पार्वती बाग जैसे कई सुंदर स्थान हैं।
श्रीखंड महादेव कैसे पहुंचें
श्रीखंड महादेव पहुंचने के लिए। दिल्ली से शिमला, शिमला के रामपुर से होते हुए कुल्लू के निरमंड होकर बागीपुल और। बागीपुल से जाओं, जाओं से श्रीखंड चोटी पहुंचे। दिल्ली से कुल 553 किलोमीटर दूर।
भजन :- चलो रे चलो श्रीखंड चलो...
गायक :- रमेश ठाकुर
संगीत :- सुरेंद्र नेगी
शब्दावली :- प्रेम चंद ठाकुर
फिल्मांकन :- सुरेश सुर /लोचन ठाकुर
ड्रोन :- प्रिंस हैरी
अभिनय/एडिट/ निर्देशन :- लोचन सिंह पुजारी
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