#बिदाई #विदाई #vidai
Singers: Dr Shucharita Gupta ji
Dr Sharda Dubey ji
Shweta Dubey ji
Anand Dubey
विदाई के समय दुल्हन द्वारा चावल फेंकने की रस्म है। इस रस्म में घर से निकलते समय दुल्हन पीछे की ओर चावल फेंकती है। दुल्हन द्वारा ऐसा करना शुभ माना जाता है।
शादी की हर रस्म अपने आपमें खास है लेकिन चावल फेंकने वाली रस्म हर दुल्हन और उसके परिवारवालों के लिए भावुक भरा पल होता है क्योंकि दुल्हन हमेशा के लिए अपना मायका छोड़कर ससुराल चली जाती है। इस रस्म को दुल्हन के डोली में बैठने से ठीक पहले किया जाता है। इस रस्म में दुल्हन जब घर से बाहर निकलने लगती है तो उसकी बहन, सहेली या घर की कोई महिला चावल की थाली अपने हाथों में लेकर उसके पास खड़ी हो जाती है। फिर दुल्हन उसी थाली से चावल उठाकर पीछे की ओर फेंकती है। दुल्हन को पांच बार बिना पीछे देखे ऐसा करना होता है। उसे चावल इतनी जोर से पीछे फेंकना होता है कि वो पीछे खड़े पूरे परिवार गिरें। इस दौरान दुल्हन के पीछे घर की महिलाएं अपने पल्लू को फैलाकर चावल के दानों को समेटती हैं। माना जाता है कि जब दुल्हन चावल फेंकती है तो जिसके पास ये आता है उसे इसको संभालकर रखना होता है।
मान्यता के अनुसार, बेटी घर की लक्ष्मी होती है। ऐसे में जिस घर में बेटियां होती हैं वहां हमेशा मां लक्ष्मी वास करती हैं। यही नहीं, उस घर में हमेशा खुशियां बनी रहती हैं। माना जाता है कि पीछे की ओर जब दुल्हन चावल फेंकती है तो इसके साथ वो अपने घर के लिए धन-संपत्ति से भरे रहने की कामना करती है।
एक मान्यता ये भी है कि भले ही कन्या अपने मायके को छोड़कर जा रही हो, लेकिन वो अपने मायके के लिए इन चावलों के रूम में दुआ मांगती रहेगी। ऐसे में दुल्हन द्वारा फेंके गए चावल हमेशा मायके वालों के पास दुआएं बनकर रहते हैं।
इस रस्म को बुरी नजर को दूर रखने के मकसद से भी किया जाता है। माना जाता है कि दुल्हन के मायके से चले जाने के बाद उसके परिवारवालों को किसी की बुरी नजर ना लगे, इस वजह से भी ये रस्म कराई जाती है।
इस रस्म को लेकर एक और मान्यता है जो कहती है कि एक प्रकार से ये दुल्हन द्वारा अपने माता-पिता को धन्यवाद कहने का तरीका है। दुल्हन मायके वालों को इस रस्म के रूप में दुआएं देकर जाती है क्योंकि उन्होंने बचपन से लेकर बड़े होने तक उसके लिए बहुत कुछ किया होता है, जिसका आभार वो इस तरह से व्यक्त करती है।
इस रस्म में क्यों किया जाता है चावल का इस्तेमाल?
चूंकि चावल को धन का प्रतीक माना जाता है इसलिए इसे धन रुपी चावल भी कहा जाता है। यही नहीं चावल को धार्मिक पूजा कर्मों में पवित्र सामग्री माना गया है क्योंकि चावल सुख और सम्पन्नता का प्रतीक होता है। ऐसे में जब दुल्हन विदा होती है तो वो अपने परिजनों के लिए सुख और सम्पन्नता भरे जीवन की कामना करती है, जिसकी वजह से इस रस्म के लिए चावल का इस्तेमाल ही किया जाता है।
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