शांतिधारा पंचगव्य अनुसंधान केंद्र (श्री दि.जैन अति.क्षेत्र बीनाजी बारह का उपक्रम)
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा प्रमाणित
लायसेन्स संख्या : MP/25D/20/719
◼ माइग्रेन, साइनस, टयूमर हेडेक, तनाव हेडेक (चारों प्रकार के सिर दर्द)
◼ नाक बंद होना, कफ, सर्दी, जुकाम,पॉलिप्स आदि
◼ बालों का झड़ना,असमय सफेदी आदि
◼ नेत्र संबंधी सर्वरोग, आंख फड़कना, मंद ज्योति आदि
◼ गले की खराबी, खांसी, फेफड़े संबंधी रोग
◼ थाइरोइड की समस्या
◼ कान संबंधी सर्व रोग
◼ मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन, अधिक क्रोध आदि
◼ हार्मोनल असंतुलन
◼ हकलाहट
◼ फेशियल पैरालाइसिस
◼ लकवा, पार्किंसन
◼ गर्दन दर्द
◼ स्नायु शिथिलता
◼ कैंसर (रोगाणुओं को पैदा होने एवं बढ़ने से रोकता है)
◼ पागलपन
◼ एलर्जी, एलर्जी अस्थमा
◼ वात रोग
◼ गैस एसिडिटी, कब्ज आदि पेट संबंधी विकार (नाभि में डालने पर)
◼ हिचकी
◼ कमजोरी, थकान
◼ दुबलापन एवं मोटापा
◼ अनिद्रा
◼ मिर्गी
◼ नजला
◼ खर्राटे
🔅पंचगव्य नस्य के अन्य गुण🔅
◼ प्रदूषण से बचाता है
◼ रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है
◼ बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर होती है
◼ लंबाई बढ़ाता है
◼ चोट जल्द भरती है
◼ कैल्शियम और विटामिन D का अब्जॉर्प्शन बढ़ाता है। इससे हड्डियाँ मजबूत होती है।
◼ युवावस्था बनाए रखता है
◼ शराब भांग गांजा के नशे को कम करता है
◼ नाक की खुश्की दूर होती है
◼ दिमाग तरोताजा होता है
◼ कोमा से जगाता है, चेतना लौटाता है
◼ मानसिक शांति मिलती है
◼ याददाश्त तेज होती है
◼ बल वीर्य बढ़ाता है
◼ शारीरिक एवं मानसिक ताकत में वृद्धि करता है
◼ कॉलेस्ट्रोल के लेवल को संतुलित करता है
◼ शरीर में पहुंचे रेडियोधर्मी विकरणों का दुष्प्रभाव नष्ट करता है
◼ स्टैमिना एवं हीमोग्लोबिन बढ़ाता है
◼ संभोग के बाद होने वाली थकान को दूर करता है
◼ तेज पंखा, एसी आदि में सोने से होने वाले वात प्रकोप से बचाता है
◼ आंखों की ज्योति बढ़ाता है
◼ जल जाने पर घाव हो जाने पर तीन चार बूंद हल्के हाथ से मलने पर काफी राहत मिलती है
◼ पित्त की समस्या दूर होती है
◼ रक्त की शुद्धि होती है,
◼ जीवन मे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है
◼ लू की समस्या दूर होती है
◼ महिलाओ की PCOD की समस्या भी नियमित रूप से सेवन करने पर बहुत जल्दी ही ठीक हो जाती है
◼ बांझपन की समस्या भी दूर होती है ( जिनको बच्चे नही होने की समस्या हो रही हो तो ऐसे मे दोनो दम्पतियो को इसका नियमित रूप से सेवन करना चाहिए तथा भोजन मे गिर गाय का देशी घी ही काम मे लेना चाहिए ऐसा करने पर आपके घर मे बहुत जल्द ही नवजात शिशु की किलकारिया गूंजने लगेगी।)
इत्यादि अनेको बीमारियों को जड़ सहित ठीक करने मे ये बहुत ही उपयुक्त औषधि है।
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
नस्य ठंड के समय जम जाती है अतः पहले गरम पानी मैं सीसी को थोड़ी देर रखकर पिघला लें उसके बाद लेट कर गर्दन पीछे करके दाईं और की नकुआ (नासिका छिद्र) में दो बूंद डालें, इसी प्रक्रिया को बाईं ओर भी करें एवं कम से कम 5 मिनट लेटे रहें, घृत को धीरे धीरे स्वयं ही मस्तिष्क के अंदर जाने दें, जबरदस्ती अंदर की ओर कदापि न खींचें।
पंचगव्य नाभि में डालने पर पेट संबंधी विकार जैसे गैस, कब्ज आदि दूर होते हैं
जरूरत पड़ने पर (लंबी बीमारी में) दिन में 4 बार तक प्रयोग कर सकते हैं।
13 साल से कम उम्र के लोगों को एक एक बूंद डालना है।
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
हमारे उत्पाद "पंचगव्य औषधियाँ,
बिलौना घी एवं जैविक अनाज" खरीदने के लिए
संपर्क करें - 6266482223, 93025 62441
www.shantidhara.in
Негізгі бет शांतिधारा पंचगव्य नस्य - उपयोग और लाभ
Пікірлер: 80