प्रोटीन-संश्लेषण की आनुवंशिक संकेत पद्धति
अथवा
आनुवंशिक कोड या जेनेटिक कोड (GENETIC CODE)
नोबेल पुरस्कार विजेता मैथाई, ओकोवा, हॉली, खुराना तथा निरेनबर्ग (Methaei, Ochoa, Holly, Khorana and Nirenberg) नामक वैज्ञानिकों ने DNA, RNA और प्रोटीन्स के बीच सम्बन्ध का पता लगाया। उन्होंने RNA की छोटी-छोटी श्रृंखलाओं (Poly-A तथा poly-U) का प्रयोगशाला में संश्लेषण किया और इन शृंखलाओं के नियन्त्रण में संश्लेषित पॉलिपेप्टाइड शृंखला में एकसमान एमिनो अम्लों का संयोजन पाया। इससे उन्होंने RNA में नाइट्रोजिनस क्षारकों के क्रम तथा पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला में एमिनो अम्लों के क्रम में सम्बन्ध स्थापित किया। Poly-A RNA-शृंखला से संश्लेषित पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला केवल लाइसीन (lysine) अम्ल के अणुओं से तथा Poly-U RNA श्रृंखला से संश्लेषित पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला केवल फीनाइलऐलेनीन (phenylalanine) एमिनो अम्ल के अणुओं से बनी थी।
प्रोटीन्स संश्लेषण में 20 एमिनो अम्ल भाग लेते हैं। अत: इनके लिये कम-से-कम 20 सूचना संकेत या कोडॉन्स (codons) तो होने ही चाहिए। इसका अर्थ है कि DNA या RNA के चार प्रकार के नाइट्रोजिनस क्षारों (ATGC) के तीन-तीन के समूहों (ATC, AAA, GCC, GGG, TAT, CGC---- आदि) का अनुक्रम पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला में एक-एक एमिनो अम्ल के क्रम को निर्धारित करता है। तीन नाइट्रोजिनस क्षारकों के एक अनुक्रम को त्रिक कोडॉन (triplet codon) अथवा कोडॉन (codon) तथा इस त्रिक कोडॉन संकेत पद्धति को triplet code कहते हैं। EH.C. Crick इस त्रिक कोड पद्धति के जन्मदाता है। अत: आनुवंशिक कोड या जेनेटिक कोड DNA अणुओं में स्थित नाइट्रोजिनस क्षारकों का वह अनुक्रम है जिसमें प्रोटीन अणुओं के संश्लेषण के लिये सन्देश निहित रहते हैं। तीन न्यूक्लिओटाइड्स के उस ग्रुप को जिसमें किसी एक एमिनो अम्ल के लिये कोड या सन्देश होता है, कोडॉन (codon) कहते हैं। इस प्रकार आनुवंशिक संकेत पद्धति में कुल 4x4x4 = 64 कोडॉन होते हैं। यद्यपि DNA अणु में नाइट्रोजिनस क्षारकों के अनुक्रम के रूप में सन्देश कोडित रहते हैं
Негізгі бет आनुवंशिक कूट (Genetic Code)| जेनेटिक कोड | genetic code in hindi |anuvanshik code |biology ScienceSK
Пікірлер: 151