दुख तो है सभी के अनुभव में। लेकर अनुभवों पर आशा की विजय होती। अनुभव तो अतीत का है आशा भविष्य की है। ये खूबी अनुभव अतीत का अतीत हो गया ठीक है। ये कैसे माने की हमारा भविष्य हमारे अतीत की ही पुनरुक्ति होगा? मानने को नहीं होता कि हमारा भविष्य हम बच्चों को कहते भी। गजनी का मोहम्मद भारत आया, वो 17 बार हार गए। सत्रहवीं बार हार के जब वो भाग गया था और एक गुफा में छिपा बैठा था तो उसने देखा एक मकड़ी जला रही। बैठा था, कुछ और काम देना था तो देखता रहा संयोग की बात की, 17 बार धागा टूट गया और मकड़ी गिर गई और 98 बार चढ़ी और धागा संभल गया और जला बन गया। बैठे बैठे गजनी को लगा कि मैं भी 17 बार हारक। कौन जो ने अठारहवीं बार जी जो। मकड़ी निहारी मैं क्यों हार गया हूँ उठाया बाहर निकल आया। सिर जूंज पड़ा। हम बच्चों को समझाते हैं कि अट्ठारहवीं बार गजनी जीता। तो घबराओ मत उत्साह मत को। लड़े जो। लेकिन हम कभी ये नहीं पूछते की गज ने जीत के भी क्या जीता? जो हार के हालत थी क्या जीत की बदली? क्या गजनी सुखी हुआ? क्या गजनी ने आनंद जाना? क्या गजनी ने आत्मा पहचान क्या गजनी को समाधि का सुख मिला मिला क्या? हार कर जैसा मरता और धुन में गिरता वैसा ही जीत के भी मरा और धूल में गिरा तो जीत जीत थी कहाँ?
Негізгі бет Музыка OSHO: EK DIYA JISKA NAAM AASHA एक दिया नाम जिसका उम्मीद
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