सूरदास का जन्म सन 1478 ई़ के आसपास माना जाता है। वे दिल्ली के निकट सीही नामक गाँव के रहनेवाले थे |उनके गुरु का नाम महाप्रभु वल्लभाचार्य था वे पर्यटन, सत्संग, कृष्णभक्ति, और वैराग्य मे रुचि लेते थे | उनकी प्रमुख रचनाओं मे सुरसागर, साहित्यलहरी, राधारसकेलि, सुरसारावाली इत्यादि प्रमुख है |इस विडियो मे हम सूरदास द्वारा रचित अध्याय पद को पढ़ेंगे तथा उसके अर्थ को समझेंगे |
जागिए ब्रजराज कुंवर कंवल-कुसुम फूले।
कुमुद -वृंद संकुचित भए भृंग लता भूले॥
तमचुर खग रोर सुनहु बोलत बनराई।
रांभति गो खरिकनि में बछरा हित धाई॥
विधु मलीन रवि प्रकास गावत नर नारी।
सूर स्याम प्रात उठौ अंबुज-कर-धारी ॥
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Негізгі бет PAD BY SURDAS (Part 1)
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