पद्मा अथवा परिवर्तिनी एकादशी का महात्म्य: @rangtarangdigital6771
Padma Ekadashi 2022 पद्मा एकादशी 2022 : भगवान विष्णु इस दिन लेते हैं करवट, तिथि मुहूर्त और महत्व जानें
Padma Ekadashi kab hai विष्णु पुराण में पद्मा एकादशी का बहुत ही खास महत्व बताया गया है। इसके अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की इस एकादशी पर भगवान नारायण करवट लेते हैं। इस कारण से यह परिवर्तनी एकादशी भी कहलाती है। इस एकादशी का व्रत करने से आपको सभी पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पद्मा एकादशी को कर्मा धर्मा एकादशी भी कहते हैं। इस एकादशी का धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व है क्योंकि चतुर्मास में भगवान जब 4 महीने के लिए शयन करते हैं तो इस बीच भाद्र शुक्ल एकादशी के दिन करवट लेते हैं। करवट लेने से भगवान की स्थिति में परिवर्तन हो जाता है, इसलिए इस एकादशी को परिवर्तनी एकादशी भी कहते हैं। इस साल परिवर्तनी एकादशी 6 सितंबर को है। आइए आपको बताते हैं इस एकादशी का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजाविधि।
एकादशी तिथि का आरंभ 6 तारीख को सुबह 5 बजकर 55 मिनट पर हो रहा है और एकादशी तिथि का समापन 7 सितंबर को सुबह 3 बजकर 5 मिनट पर हो रहा है। इसलिए सभी के लिए एकादशी व्रत 6 सितंबर को ही मान्य होगा और 7 तारीख को सुबह 9. 30 तक पारण कर लेना उत्तम रहेगा।
पद्मा एकादशी पर बने ये खास योग
ज्योतिष और पंचाग के अनुसार इस बार की पद्मा एकादशी पर बेहद खास 4 शुभ योग बन रहे हैं। ये चार शुभ योग इस प्रकार हैं, पहला आयुष्मान योग, दूसरा रवि योग, तीसरा त्रिपुष्कर योग और चौथा सौभाग्य योग। ऐसा कहा जाता है कि इन 4 योग में से किसी भी एक योग में की गई भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से फलदायी होती है।
विष्णु पुराण में पद्मा एकादशी का महत्व सर्वाधिक खास माना गया है। ऐसी मान्यता है कि जाने या अनजाने में हुए पापों से मुक्ति पाने के लिए पद्मा एकादशी का व्रत सबसे खास माना जाता है। पापों से मुक्ति पाने के लिए इस व्रत जैसा उत्तम और कोई दूसरा उपाय नहीं है। माना जाता है कि इस एकादशी के दिन श्रीहरि का ध्यान करने वाले व्यक्ति को हर प्रकार के सुखों की प्राप्ति के साथ अंत में मोक्ष भी प्राप्त होता है।
पद्मा एकादशी व्रत की पूजाविधि
पद्मा एकादशी के दिन प्रात: जल्दी उठकर स्नान करें। पीले वस्त्र धारण करें और लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर वहां पर केले का पत्ता लगाएं और उसके साथ ही चौकी पर पीला वस्त्र, पीले फूल, तुलसी दल और चरणामृत अर्पित करें। इसके बाद मन ही मन श्रीहरि का ध्यान करते हुए एकादशी का व्रत करने का संकल्प लें। उसके बाद पूरे दिन व्रत करके सायंकाल आप फलाहार ले सकते हैं। अगले दिन स्नान करने के बाद किसी जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न, वस्त्र और छाता व जूते दान करें। उसके बाद व्रत का पारण करें।
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