पहाड़ी पारम्परिक शादी की रंगत ही कुछ और है। पारम्परिक कंकड़ बाँधने से शुरू होकर हल्दी स्नान, सुवाल पथाई और शाम को महिला संगीत के साथ शादी की तैयारियां प्रारम्भ होती हैं। । अगली सुबह बारात को बट्याने (तैयार) की जल्दबाजी। घ्यान्नै-कुट्टी के साथ पहुंचते हमारे ढोली भाई लोग, साथ में छोलिया नर्तक, वहीं बीनबाजे के कलाकार अपनी मधुर धुन बजाते हुए घर पर पहुँचते हैं। बारातियों के पहुँचने का सिलसिला जारी रहता है।
अब गौनयार में हमारे ढोली भाई लोग धीरे-धीरे ढोल की थापों से आसपास के माहौल को संगीतमय करते हैं। बाराती थिरकने लगते हैं। दूल्हा को लोग आँगन पर लाते हैं। परखने की रस्म की जाती है। अब बरात दुल्हन को लेने को चल पड़ती है।
कैसा माहौल रहता है बारात में देखिये इस कुमाऊंनी शादी की वीडियो में -
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