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महिलारोप्य नाम के नगर में वर्धमान नाम का एक वणिक-पुत्र रहता था. उसने धर्मयुक्त रीति से व्यापार में पर्याप्त धन पैदा किया था; किन्तु उतने से सन्तोष नहीं होता था; और भी अधिक धन कमाने की इच्छा थी. उस जमाने में छः उपायों से ही धनोपार्जन किया जाता था- भिक्षा, राजसेवा, खेती, विद्या, सूद और व्यापार से. इनमें भी व्यापार का साधन ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता था. जो आज भी है. हालांकि व्यापार के भी अनेक प्रकार हैं. उनमें सबसे अच्छा व्यापार था कि परदेस से उत्तम वस्तुओं का संग्रह करके स्वदेश लाकर उन्हें बेचा जाय. यही सोचकर वर्धमान ने अपने नगर से बाहर जाने का फैसला किया. उन्होंने इसके लिए मथुरा शहर को चुना और मथुरा जाने वाले मार्ग पर चलने लायक एक रथ तैयार करवाया. उस जमाने में आज जैसे हाईवे तो थे नहीं, न ही मोटरगाड़ियां ही थीं कि पेट्रोल, डीजल भरवाया और निकल लिए. उन्होंने रथ में दो सुन्दर, सुदृढ़ बैल लगवाए, जिनके नाम थे- संजीवक और नन्दक...यह पंडित विष्णु शर्मा की पंचतंत्र की कहानियां, 'मित्र भेद' का शुरुआती अंश है, जिसे आप चर्चित उद्घोषिका सारिका पंकज से सुन रहे हैं.
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भारतीय साहित्य में नीति कथाओं की भरमार है. उसमें भी पंचतंत्र की कहानियों का क्या कहना. ये नीति कथाएं संस्कृत में पंडित विष्णु शर्मा द्वारा लिखीं गईं. भाषा थी संस्कृत. हालांकि उस जमाने में कागजों पर दर्ज न होने के चलते यह कहीं भी मूल रूप से पुस्तकाकार नहीं है, पर वाचिक परंपरा में पीढ़ी दर पीढ़ी यह जिंदा रही. अब विलुप्त हो चुकी पंचतंत्र की मूल संस्कृत कृति संभवत: 100 ई.पू. से 500 ई. के बीच किसी समय अस्तित्व में आई थी. कुछ साक्ष्य बताते हैं कि इसका रचना काल तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व है. इसकी महत्ता इसी से ज्ञात होती है कि इसका अनुवाद विश्व की लगभग सभी भाषाओं में हो चुका है. खास बात यह कि मूल रूप में संस्कृत में रचित यह ग्रंथ हिंदी भाषा में कई विदेशी भाषाओं में प्रकाशन के बाद छप सका. पंचतंत्र का कथानक पांच भागों में बंटा हुआ है, जिसकी मुख्य नीति है- मित्रभेद, मित्रलाभ, कौवे एवं उल्लुओं से सीख, हाथ लगी चीजों का निकल जाना और जिसको परखा नहीं गया हो, उसे करने से पहले सावधानी बरतना. पंचतंत्र की कहानियां मनुष्यों के अलावा पशु-पक्षियों को भी पात्र बना कर शिक्षाप्रद बातें बताती हैं. इसीलिए साहित्य तक पर कालजयी कथाओं की कड़ी में आज से आप हर सप्ताह पंचतंत्र की ऐसी ही कहानियां सारिका पंकज से सुनेंगे. चूंकि ये कहानियां आपस में गुथी हुई हैं, इसलिए कई बार आप को एक ही कड़ी में दो-तीन कहानियां भी सुनने को मिल सकती हैं.
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