Barkot- Yamunotri Road (249141) Uttarkashi (Uttarakhand)-
जमदग्नि एक परम तेजस्वी ऋषि, जो 'भृगुवंशी' ऋचीक के पुत्र थे तथा जिनकी गणना 'सप्तऋषियों' में होती है। इनकी पत्नी राजा प्रसेनजित की पुत्री "रेणुका" थीं। भृगुवंशीय जमदग्नि के पुत्र "परशुराम" थे, जिन्हें भगवान 'विष्णु का अवतार' माना जाता है। जमदग्नि की पत्नी रेणुका जब एक गन्धर्व पर आसक्त हो गई, तब वे अपने पुत्रों को रेणुका का वध करने का आदेश देते हैं। परशुराम अपनी माता का सिर काट देते हैं, किंतु बाद में पिता से कहते हैं कि वह माता रेणुका को क्षमा करके पुन: उनकी चेतना लौटा दें।ऋषि जमदग्नि तपस्वी और तेजस्वी ऋषि थे। उनके और रेणुका के पाँच पुत्र थे- 'रुक्मवान', 'सुखेण', 'वसु', 'विश्ववानस' और 'परशुराम'।
जनश्रुति के अनुसार महर्षि जमदग्नि ऋचीक के पुत्र और भगवान परशुराम के पिता थे। इनके आश्रम में इच्छित फलों को प्रदान करनी वाली गाय थी जिसे कार्तवीर्य छीनकर अपनी राजधानी माहिष्मति ले गया। परशुराम को जब यह ज्ञात हुआ तो उन्होंने कार्तवीर्य को मार दिया ओर कामधेनु वापिस आश्रम में ले आए और एक दिन अवसर पाकर कीर्तवीर्य के पुत्रों को भी मार डाला और समस्त पृथ्वी पर घूम-घूमकर इक्कीस बार क्षत्रियों का संहार किया तब उन्होंने अपने पिता के मस्तक को धड़ से जोडा और उनका अन्त्येष्टि संस्कार माहूर, जिला- नांदेड महाराष्ट्र मे सम्पन्न किया। यहां माता रेणुका का प्राचीन मंदिर स्थापित है और प्रमुख शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। कुरूक्षेत्र भूमि में पांच कुण्ड बनाकर पितरों का तर्पण किया। ये पांचों सरोवर समन्त पंचक-तीर्थ के नाम से विख्यात हुए। जिसे ब्रह्मा जी उतर वेदी कहते हैं वह यही समन्त पंचम तीर्थ है। वामन पुराण में लिखा है।
"Jamadagni had 'five children' with 'wife Renuka', the youngest of whom was 'Parashurama', an avatar of 'Lord Vishnu'. Jamadagni was well versed in the scriptures and weaponry without formal instruction."
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Негізгі бет परशुराम पिता महर्षि जमदग्नि ऋषि (मुनि) महाराज गंगोत्री यात्रा-2019 थान-नगानगांव (बड़कोट, उत्तरकाशी)।
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