या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।l जय माँ कालिंका
गढ़वाल और कुमाऊँ सीमा पर स्थित माँ कालिंका का भव्य मंदिर प्राकृतिक दृष्टि से जितना सुन्दर और मंत्रमुग्ध कर देने वाला है, उतनी ही माँ कालिंका की महिमा अपने भत्तों पर रहती है.
नंदा, त्रिशूल और हिमाद्री की उच्च श्रेणियो का दृश्य भक्त को अपने में समा लेने की ममता भरी माया रचती है,
यह मध्य हिमालय में स्थित है, जो ऊँचे पर्वत पर सदियों से उत्तराखण्ड के कुमाऊँ (अल्मोड़ा)- गढ़वाल में आस्था और श्रद्धा का केंद्र रहा है .
बुरांस या बुरुंश सुन्दर फूल के कारण क्षेत्र में सुगंधित वातावरण रहता है गर्मियों के दिनों में ऊंची पहाड़ियों पर खिलने वाले बुरांस के सूर्ख फूलों से पहाड़ियां भर जाती हैं.
सर्दियों में हिमपात के कारण सफेद चादर रूप में बर्फ, पहाड़ी को मानो स्वर्ग सी सजा देती हैं.
और प्रत्येक 3-4 सालों के अन्तराल पर साल के अंतिम दिनों यहाँ भव्य मेला का आयोजन होता है जो गोठ नामक ग्राम से बढ़ियारी वंशजों द्वारा सुरू होता है, माँ कालिंका का न्योजा ढोल-दमऊ के साथ देवी-देवताओं संग क्षेत्र भ्रमण पर जाती है. और भक्तों की जीवन को सुखी और सफल होने का आशीर्वाद देती है... #bhagwati
Негізгі бет परमशक्ति रूपे माँ काली का मंदिर|| भक्तों के हर कष्ट हरने वाली||
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