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शनिवार 17 अगस्त, रात के 12 बजे, हरियाणा के चरखी दादरी से 14 किलोमीटर दूर बलाली गांव. पहलवानों के गांव से मशहूर यहां लोग 8-9 बजे तक सो जाते हैं क्योंकि सुबह-सुबह पशुओं के लिए चारा लाना होता है, खेत में काम करने जाना होता है लेकिन आज लोग जगे हुए हुए हैं. महिलाएं और पुरुष सड़क किनारे बैठकर इंतज़ार कर रहे हैं. छोटे बच्चे गांव के ही मंदिर के पास बने टेंट में चहलकदमी करते नजर आ रहे हैं.
गांव का महौल ऐसा है जैसे कोई उत्सव हो. हमने चलते-चलते एक बुजुर्ग महिला से से पूछा कब तक इंतज़ार करेंगे तो वो उत्साह से कहती हैं, ‘‘जब तक म्हारी छोरी नी आ जाती. रात भर जागैंगे.’’
विनेश को शाम पांच बजे अपने गांव पहुंचना था लेकिन अलग-अलग गांवों में कार्यक्रम करते-करते रात के 12:20 मिनट के करीब वो अपने गांव पहुंची. रास्ते में मौजूद महिलाओं ने फूल बरसाए और बड़ों ने आशीर्वाद दिया.
इस दौरान एक चीज़ हमें और देखने को मिली. चरखी-दादरी शहर से लेकर उनके गांव तक स्वागत में कई होर्डिंग्स लगे हुए थे. जिसमें एक भी बीजेपी नेता का नहीं था. ना ही उनके गांव में कोई बीजेपी नेता पहुंचा. यहां तक कि उनकी अपनी बहन और 2019 में चरखी दादरी से विधानसभा चुनाव लड़ चुकी बबीता फौगाट भी नहीं पहुंची थी.
देखिए विनेश के गांव से हमारी ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.
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