पर्यावरण पर दिल छू लेने वाली कहानी/environment story in hindi/paryavaran kahani @KaviRahulYadav01
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श्राप हिन्दी कहानी
एक गांव में एक लकड़ हारा रहता था ,
वह बहुत ही गरीब था , जंगल से लकड़ियां लाता और उन्हें बेचकर अपनी आजीविका चला रहा था,
दिन बीतते गए लेकिन उसकी गरीबी खत्म होने का नाम
नहीं रही थी,
वह बहुत दुःखी था कैसे गरीबी से छुटकारा पाया जाए
आखिर उसने फैसला किया ,आज वह ज्यादा लकड़ियां
काटकर बाजार में बेचेगा , जिससे ज्यादा पैसे मिलेंगे और
और गरीबी समाप्त हो जायेगी
अगले दिन लकड़हारे ने ऐसा ही किया उसने जंगल से ज्यादा लकड़ी काटकर बाजार में बेच दी जिससे ज्यादा पैसे मिले और खुशी खुशी घर चला आया
वह प्रतिदिन ऐसे ही ज्यादा लकड़ियां काटने लगा
और ज्यादा पैसे कमाने लगा ,
अब वह बहुत खुश था उसकी गरीबी समाप्त हो चुकी थी
लेकिन उसे क्या पता था उपर वाले की लाठी में आवाज नहीं होती , अचानक लकड़हारे की की पत्नी बीमार पड़ गई
जितना भी धन कमाया था वो सब पत्नी की बीमारी में खर्च हो गया ऊपर से पत्नी अभी भी सही नहीं थी
लकड़हारा बहुत परेशान था
अब वह क्या करे उसे कोई रास्ता नहीं सूझा तो वह
और ज्यादा जंगल से लकड़ियां काटने लगा
इतनी मेहनत करने के बाद भी उसका सारा पैसा फिजूल
के कामों और पत्नी की बीमारी में खर्च हो रहा था
उसे समझ नहीं आ रहा था,ऐसा उसके साथ ही क्यों
हो रहा है।
वह बहुत परेशान था,रोज की तरह जंगल की ओर जा रहा था ,तभी उसकी नजर साथु पर पड़ी
उसने देखा मुख तेज से चमक रहा है, बहुत सिद्ध पुरुष दिखाई देते हैं,
वह सोच रहा था क्यों न इस महान संत अपनी परेशानी के
बारे में पूछा जाए उसने हिम्मत करके संत की ओर प्रस्थान किया और हाथ जोड़ उनको प्रणाम किया
संत ने प्रणाम स्वीकार किया और कहा कोन हो और
कहां से आए हो
लकड़हारा में एक लकड़हारा और लकडियां काटना मेरा कर्म है ,जिससे मेरा पालन पोषण होता है,
संत ध्यान करके कहा यही तो तुम्हारा श्राप है,
जिसके कारण तुम कभी अमीर नहीं बन सकते और कोई न कोई ई बीमारी तुम्हारे घर में बनी रहेगी
लकड़हारा - श्राप कैसा श्राप
संत - अपने निजी स्वार्थ के लिए तुम हरे भरे पेड़ों को काटते हो उसका फल ये श्राप है,जब तक ऐसे कर्म करोगे
ये श्राप तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ेगा कुछ दिनों बाद तुम्हारी पत्नी भी इस श्राप की भेंट चढ़ जायेगी
लकड़हारा - नहीं में अपनी पत्नी को नहीं खोना चाहता कृपया करके रास्ता दिखाइए
संत - सबसे पहले तुम्हें अपना ये कर्म छोड़ना होगा और
ऐसे कार्य करो जिससे समाज प्रकृति और किसी अन्य जीव
जीव को हानि ना पहुंचे तब तुम्हारा ये श्राप वरदान में बदल जाएगा।
लकड़हारा - लकड़हारे ने संत की बात मानकर ऐसा ही किया और उसका श्राप नष्ट हो गया उसकी पत्नी पूर्ण रूप से सही हो गई
कहानी से सीख -
दोस्तो इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें ऐसा को अनुचित कार्य नहीं करना चाहिए जिससे प्रकृति,समाज किसी जीव ,प्राणी को क्षति हो,
यही मानव जीवन का उद्देश्य है, जय श्री कृष्णा राधे कृष्णा
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