Pench National Park | Jungle Safari | Pench Tiger Reserve | Pench Wildlife sanctuary | Santu Dhurwe
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पेंच राष्ट्रीय उद्यान भारत का एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान हैं। यह मध्य प्रदेश के सिवनी और छिन्दवाड़ा जिलों में स्थित है
पेंच राष्ट्रीय उद्यान को मोगली लैण्ड कहा जाता है। रुडयार्ड किपलिंग की भारत के जंगलों पर आधारित कथाएँ यहीं से प्रेरित मानी जाती हैं और विशेषकर "द जंगल बुक" (जिसके प्रमुख पात्र का नाम मोगली है) का इस क्षेत्र से सम्बन्ध है।
सिवनी और छिन्दवाड़ा जिले की सीमाओं पर 292.83 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस राष्ट्रीय उद्यान का नामकरण इसे दो भागों में बांटने वाली पेंच नदी के नाम पर हुआ है। यह नदी उद्यान के उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर बहती है। देश का सर्वश्रेष्ठ टाइगर रिजर्व होने का गौरव प्रात करने वाले पेंच राष्ट्रीय उद्यान को 1993 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित इस नेशनल पार्क में हिमालयी प्रदेशों के लगभग 210 प्रजातियों के पक्षी आते हैं। अनेक दुर्लभ जीवों और सुविधाओं वाला पेंच नेशनल पार्क तेजी से पर्यटकों को अपनी ओर खींच रहा है
अनेक दुर्लभ जीवों और सुविधाओं वाला पेंच नेशनल पार्क पर्यटकों को तेजी से अपनी ओर आकषिर्त कर रहा है। खूबसूरत झीलें, ऊंचे पेड़ों के सघन झुरमुट, रंगबिरंगे पक्षियों का कलरव, शीतल हवा के झोंके, सोंधी-सोंधी महकती माटी, वन्य प्राणियों का अनूठा संसार सचमुच प्रकृति के समूचे तन-बदन पर हरीतिमा का ऐसा अनंत सागर रोम-रोम में सिहरन भर देता है। पेंच नेशनल पार्क कोलाहल करते 210 से अधिक प्रजाति के पक्षियों, पलक झपकते ही दिखने और गायब हो जाने वाले चीतल, सांभर और नीलगायें, भृकुटी ताने खड़े जंगली भैंस और लगभग 65 बाघों से भरा पड़ा है।
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित इस नेशनल पार्क में हिमालय क्षेत्र के लगभग 210 प्रजातियों के पक्षी प्रवास के लिए आते हैं। अनेक दुर्लभ जीवों और सुविधाओं वाला पेंच नेशनल पार्क पर्यटकों को तेजी से अपनी ओर आकषिर्त कर रहा है। खूबसूरत झीलें, ऊंचे पेड़ों के सघन झुरमुट, रंगबिरंगे पक्षियों का कलरव, शीतल हवा के झोंके, सोंधी-सोंधी महकती माटी, वन्य प्राणियों का अनूठा संसार सचमुच प्रकृति के समूचे तन-बदन पर हरीतिमा का ऐसा अनंत सागर रोम-रोम में सिहरन भर देता है। पेंच नेशनल पार्क कोलाहल करते 210 से अधिक प्रजाति के पक्षियों, पलक झपकते ही दिखने और गायब हो जाने वाले चीतल, सांभर और नीलगायें, भृकुटी ताने खड़े जंगली भैंस और लगभग 65 बाघों से भरा पड़ा है।
सतपुड़ा की पर्वतमाला के दक्षिणी छोर पर तलहटी में स्थित यह राष्ट्रीय उद्यान 23 नवम्बर, 1992 में टाइगर सं रक्षण योजना के तहत टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया। इसके बाद से ही इस क्षेत्र में वन्य प्राणियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होने लगी। क्या आपको विास है कि बर्फीले प्रदेशों या हिमालय की तराई में रहने वाले इन पक्षियों की आश्रय स्थली प्रदेश के किसी वन क्षेत्र में हो सकती है? प्रति वर्ष शीत ऋतु में बर्फीले क्षेत्रों के लगभग 210 प्रजातियों के पक्षी भोजन और प्रजनन के लिए यहां आश्रय लेते हैं।
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