#garhwali_kavita #ombadhani #phadi
रचना एवम प्रस्तुतकर्ता - योगेश सकलानी
संयोजन - ओम प्रकाश सेमवाल कलश ट्रस्ट रूदप्रयाग
प्रस्तुति -ओम बधाणी
सहयोग श्री संजय शर्मा दरमोड़ा,श्री दयाल सिंह राणा,श्री पारेश्वर शर्मा दरमोड़ा
आभार -राजेंद्र प्रसाद सेमवाल, डॉ0सुशील पुरोहित,आशीष डंगवाल,रमन शैली
मुद्रण एवम एडिटिंग - Om Music and Films Studio Dehradun
Contat for audio Recording - 7453889944
©Om Badhani Official
@ombadhani
गीत के बोल -
चाऋतुराज कु रैबार लैकि
पींगला रंग मा सजीं जनि ब्योंली
हैरि डाँड्यों मा रितिं पाख्यों मा
धार खालों मा बीटा सार्यों मा
फुलण फुलीगि फ्योंली
फुलण लैगिगि फ्योंली
हैरि डाँड़यों मा रिति पाख्यों मा
1- बाला बसंत कि अगन्वै बणीग्ये फ्यौंली,-2
हैरि सार्यों पींगला रँग रँगीग्ये फ्यौंली
बालि हाथ्यौं फुलर्यौं
कुंगली हाथ्यौं फुलर्यौं
डैल्यौं चढाली फ्यौंली...
हैरि डांड्यौं मा रिति पाख्यौं मा
फुलंण फुलिगी फ्यौंली
फुलंण लैगिगी फ्यौंली
धार खालौं मा बिटा सार्यौं मा..
2- यखुली खुदैंणि हौली निरमैतैंणी तु फ्यौंली
दगडा़ पैटला मैतुडा़ तु ड्यैल्यौं मा रौली
सारी सार्यौं अटकंणी
पिंगली मुखुडी़ दमकंणी
जिकुड़ी झुराली फ्यौंली..
हैरि डांड्यौं मा रिति पाख्यौं मा
फुलंण फुलिगी फ्यौंली
फुलंण लैगिगी फ्यौंली
धार खालौं बीटा सार्यौं मा.... अर वैंकु प्राण डबख्दू चा सार्यों मा अर वींकि जिकुड़ी झुरांदी चा अर
रुंणि रांदि कि दगडा़ मैत जाला अर में निरमैतैंणी कख दी जालु बस ड्यैल्यौं मा डबख्णु रालु ।
गीत कु भावार्थ युच कि-
बसंत रितु कु रैबार लिकी थैं आदिं फ्यौंली अर फुलिक थैं , हैरि डांड्यौं थैं, रिति पाख्यौं थैं, धार खालौं थैं अर बिटा पाख्यौं थैं पिगला रँग मा रँगी दैंदि ।
गीत का भाव अर्थ -
1- बाला बसंत की फ्यौंली अगुआई करदि अर पुरी सारी थैं पिगला रँग मा रंगी देंदी अर फिर नौना बाला ऊँ फूलों थैं गाड़ीक थैं फुलारी त्यौहार मनोंदन अर ड्यैल्यौं मा फुल डालदन
2-पुराणा लोक मान्यताओं का अनुसार क्वे लड़की रँदी अपरा ससुराल मा जैंका मैती नि रँदन त स्या ईं ऋतु का दौरान भौत खुदैंदी अर वैकु प्राण पड़दु ईं फ्यौंली फुल मा, अर वु निरमैतैंणी भौत रुंदि चा अर वैंकु प्राण डबख्दू चा सार्यों मा अर वींकि जिकुड़ी झुरांदी चा अर
रुंणि रांदि कि दगडा़ मैत जाला अर में निरमैतैंणी कख दी जालु बस ड्यैल्यौं मा डबख्णु रालु ।
कविता सर्वाधिकार सुरक्षित -योगेश सकलानी
Негізгі бет फ्योंली(Fyonli)योगेश सकलानी की लाजवाब गढ़वाली कविता,
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