किसान भाइयों नमस्कार,
प्रो ट्रे में पौध उगाने की तकनीक Pro tray me poudha ugane ki takneek
परिचय:
सब्जियों की स्वस्थ पौध तैयार करना अधिक उत्पादन के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है। स्वस्थ पौध रोपण से पौधे शीघ्र जड़ पकड़ लेते हैं एवं प्रारंभ से ही उनकी वानस्पतिक वृद्धि अच्छी होने लगती है, जिससे उपज अधिक प्राप्त होती है। क्यारियों की अपेक्षा प्रो - ट्रेज में पौधों की जड़ व तने का विकास तेजी से व एक समान होता है जिससे उच्च गुणवत्ता वाली पौध लगभग एक सप्ताह पूर्व तथा एक साथ तैयार हो जाती है।
प्रो-ट्रे या प्लग ट्रे क्या है?
प्रो-ट्रे या प्लग ट्रे प्लास्टिक से निर्मित ट्रे नुमा आकार की होती है जिसमें गहरे सेल बने होते हैं। प्रत्येक प्लग (सेल) में एक पौध उगाई जाती है। बाजार में प्रो - ट्रेज विभिन्न आकार के प्लग या छिद्रों व इनकी संख्या के आधार पर उपलब्ध हैं। इसमें आमतौर पर 98 छिद्र वाली ट्रे (आकार 53.4 ×27.94 ×2.7 सेमी) टमाटर, बैंगन, मिर्च के लिए और 40 छिद्र वाली (आकार 50×30×5.5 सेमी) खीरा, खरबूज, तरबूज, लौकी एवं कददू के लिए उपयुक्त होती हैं।
प्रो ट्रे के लिये माध्यम:
प्रो-ट्रेज के लिए प्रयुक्त माध्यम में परलाइट, वर्गीकुलाइट व कोकोपीट का उपयोग किया जाता है। जिसमे कोकोपीट का प्रमुखता से उपयोग किया जाता है। कोकोपीट नारियल रेशे उद्योग का एक उप उत्पाद है, जो ज्यादा जल धारण करने की क्षमता रखता है। पौध तैयार करने के लिए अच्छी तरह से सड़ी हुई एवं भाप द्वारा उपचारित कोकोपीट का उपयोग करना चाहिए। पौध तैयार करने के लिए 300 किलोग्राम कोकोपीट में 5 किलोग्राम नीम खली, 1 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा विरडी, 1 किलोग्राम एजोस्प्रिलम एवं 1 किलोग्राम पीएसबी कल्चर मिलाएँ।
प्रो- ट्रे में पौध तैयार करने की विधि:
पौध को 40-50 मेश की कीट अवरोधी नायलान जाली युक्त नेट हाउस के अन्दर तैयार किया जाता हैं। सबसे पहले प्रो ट्रे को कोकोपीट से भर दें। इसके बाद ट्रे के कोश के बीच मे 0.5 सेमी गहरा छिद्र बनाकर एक बीज एक छिद्र में बोयें इसके बाद ट्रे में ऊपर से और कोकोपीट डालकर बीजों को ढँक देवें। बीज को बुवाई के पूर्व बीज को कार्बन्डाजिम 50% डब्ल्यूपी 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें। इसके उपरान्त इमिडाक्लोप्रिड 70% डब्ल्यूएस 4-6 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करें। बुआई के पश्चात् ट्रेज को 4 दिनों (अंकुरण होने से पूर्व) तक पालीथीन से ढक देते हैं, इससे अंकुरण अधिक एवं जल्दी होता है। 5 वें दिन ट्रेज से पोलीथीन शीट को हटाकर ट्रेज को नेट हाउस में एक एक करके अलग अलग रख देते हैं। इसके बाद ट्रेज में सिंचाई करें। प्लग- ट्रे में लगी नर्सरी पौध पर पानी इस तरीके से डालें जिससे प्रत्येक सेल्स (पौधे) में हमेशा पर्याप्त नमी बनी रहे। सिंचाई फुहार के माध्यम से सुबह के समय डालें। एहतियात के तौर पर बीज जमाव के लगभग एक सप्ताह बाद मेनकोज़ेब 75% डब्ल्यूपी 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर पौध की जड़ों में ड्रेंचिंग करने से नर्सरी में फफूंद जनित रोग जैसे आर्दगलन (डैम्पिंग आफ) के प्रकोप से बचा जा सकता हैं। बुआई के 18 दिन बाद पौध पोषण हेतु पौध की जड़ों में एन.पी.के. (19:19:19) 2 ग्राम / लीटर पानी में घोलकर ड्रेंचिंग करें।
प्रो ट्रे या प्लग- ट्रे में पौध तैयार करने के लाभ:
स्वस्थ एवं रोग मुक्त पौध कम समय में तैयार की जा सकती है।
प्रो- ट्रे तकनीकी के माध्यम से वर्ष के किसी भी समय बे-मौसमी सब्जियों की खेती के लिए पौध को को उगाया जा सकता है।
मृदा जनित रोग जैसे पौध आर्दगलन लगने की संभावना कम हो जाती है।
पारंपरिक तरीके से नर्सरी उगाने से कई पौधे नष्ट हो जाते हैं परंतु प्लग ट्रे के माध्यम से इस समस्या से निजात पाया जा सकता है।
प्लग ट्रे नर्सरी में प्राय: 95 से 98% पौधे जीवित रहते हैं।
बीज की मात्रा को भी काफी कम किया जा सकता है क्योंकि इस विधि द्वारा प्रत्येक बीज को अलग-अलग छेदों में बोया जाता है जिससे अंकुरण प्रतिशत अधिक मिलता है।
पौध मे जड़ें अधिक विकसित होती हैं जिसके कारण पौध अधिक व उच्च ओज वाली होती है।
जब पौध बाहर क्यारियों में तैयार की जाती है तो पौध को उखाड़ते समय जड़ टूटने से पौध की मरण क्षमता लगभग 10% रहती है। लेकिन इस तकनीक द्वारा तैयार पौध में पौध मरने की संभावना बहुत कम रहती है। कद्दूवर्गीय सब्जियों की पौध को भी इस विधि द्वारा सरलतापूर्वक तैयार किया जाता है जो पहले भूमि में क्यारियों में सम्भव नहीं होता है।
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