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राष्ट्र के हित मे चलना नही भूलना
सारे मिलजुल के रहना नही भूलना
ज़िंदगी में अगर कुछ नही बन सको
अच्छा इंसान बनना नही भूलना
गंदे व्यसनों से डरना नही भूलना
गिर भी जाओ तो उठना नही भूलना
गहरा बनना समंदर के जैसा मगर
अपनी धुन में ही बहना नही भूलना
प्यारे बचपन की लोरी नही भूलना
रक्षा बंधन की डोरी नही भूलना
पूरी दुनिया की दौलत भी पा लो अगर
माँ पिता की वो जोड़ी नही भूलना
अपनो के संग गैरों को ना भूलना
प्यारे प्यारे से चेहरो को ना भूलना
पड़ गए खून के छाले जिन पैरों में
ऐसे पावन से पैरों को ना भूलना..
वीरेंद्र
Негізгі бет प्रेरक पंक्तिया। हिंदी दिवस। वीरेंद्र राठौर
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