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वनस्थ योगी श्री ६ श्री गुरु श्री शिवदत्त स्मारक गड्डी, जोधपुर
पं राजेन्द्र कुमार व्यास “पालजी”
Pt. Rajendra Kumar Vyas “Palji”
9414849604
प्रातःस्मरणीय श्लोक - निम्नलिखित श्लोकोंका प्रात : काल पाठ करनेसे बहुत कल्याण होता है , जैसे - १ - दिन अच्छा बीतता है , २ - दुःस्वप्न , कलिदोष ,शत्रु , पाप और भवके भयका नाश होता है , ३ - विषका भय नहीं होता . ४ धर्मकी वृद्धि होती है , अज्ञानीको ज्ञान प्राप्त होता है , ५ - रोग नहीं होता . ६ - पूरी आयु मिलती है , ७ - विजय प्राप्त होती है , ८ - निर्धन धनी होता है , ९ - भूख - प्यास और कामकी बाधा नहीं होती तथा १० - सभी बाधाओंसे छुटकारा मिलता है इत्यादि । निष्कामकर्मियोंको भी केवल भगवत्प्रीत्यर्थ इन श्लोकों का पाठ करना चाहिए | गणेशस्मरण - प्रातः स्मरामि गणनाथमनाथबन्धुं सिन्दूरपूरपरिशोभितगण्डयुग्मम् । उद्दण्डविघ्नपरिखण्डनचण्डदण्ड माखण्डलादिसुरनायक वृन्दवन्द्यम् ॥ ' ' अनाथोंके बन्धु , सिन्दूरसे शोभायमान दोनों गण्डस्थलवाले , प्रबल विघ्नका नाश करनेमें समर्थ एवं इन्द्रादि देवोंसे नमस्कृत श्रीगणेशका मैं प्रात : काल स्मरण करता हूँ । ' विष्णुस्मरण- प्रातः स्मरामि भवभीतिमहार्तिनाशं नारायणं गरुडवाहनमब्जनाभम् । ग्राहाभिभूतवरवारणमुक्तिहेतुं चक्रायुधं तरुणवारिजपत्रनेत्रम् ॥ ' संसारके भयरूपी महान् दुःखको नष्ट करनेवाले , ग्राहसे गजराजको मुक्त करनेवाले , चक्रधारी एवं नवीन कमलदलके समान नेत्रवाले , पद्मनाभ गरुडवाहन भगवान् श्रीनारायणका मैं प्रात : काल स्मरण करता हूँ । ' शिवस्मरण प्रातः स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं गङ्गाधरं वृषभवाहनमम्बिकेशम् । । खट्वाङ्गशूलवरदाभयहस्तमीशं संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम् ॥ ' संसारके भयको नष्ट करनेवाले , देवेश , गङ्गाधर , वृषभवाहन , पार्वतीपति , हाथमें खट्वाङ्ग एवं त्रिशूल लिये और संसाररूपी रोगका नाश करनेके लिये अद्वितीय औषध - स्वरूप , अभय एवं वरद मुद्रायुक्त हस्तवाले भगवान् शिवका मैं प्रात : काल स्मरण करता हूँ । ' देवीस्मरण - प्रातः स्मरामि शरदिन्दुकरोज्ज्व लाभां सद्रलवन्मकरकुण्डलहारभूषाम् । दिव्यायुधोर्जितसुनीलसहस्रहस्तां रक्तोत्पला भचरणां भवतीं परेशाम् ॥ ' शरत्कालीन चन्द्रमाके समान उज्ज्वल आभावाली , उत्तम रत्नोंसे जटित मकरकुण्डलों तथा हारोंसे सुशोभित , दिव्यायुधोंसे दीप्त सुन्दर नीले हजारों हाथोंवाली , लाल कमलकी आभायुक्त चरणोंवाली भगवती दुर्गादेवीका मैं प्रात : काल स्मरण करता हूँ । ' सूर्यस्मरण प्रातः - स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं रूपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि । सामानि यस्य किरणाः प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम् ॥ " सर्यका वह प्रशस्त रूप जिसका मण्डल ऋग्वेद , कलेवर यजुर्वेद तथा किरणें सामवेद हैं । जो सृष्टि आदिके कारण हैं , ब्रह्मा और शिव स्वरूप हैं तथा जिनका रूप अचिन्त्य और अलक्ष्य है पर उनका स्मरण करता हूँ । ' त्रिदेवोंके साथ नवग्रहस्मरण - ब्रह्मा मुरारि स्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च । गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥ ' ब्रह्मा , विष्णु , शिव , सूर्य ,चन्द्रमा , मंगल , बुध , शनि , राहु और केतु - ये सभी मेरे प्रातःकालको मंगलमय करें । ' ऋषिस्मरण - भृगुर्वसिष्ठः क्रतुरङ्गिराश्च मनुः पुलस्त्यः पुलहश्च गौतमः । रैभ्यो मरीचिश्च्यवनश्च दक्षः कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥ भृगु , वसिष्ठ , क्रतु , अंगिरा , मनु , पुलस्त्य , पुलह , गौतम , रैभ्य , मरीचि , च्यवन और दक्ष - ये समस्त मुनिगण मेरे प्रात : कालको मंगलमय करें । ' सनत्कुमारः सनकः सनन्दनः सनातनोऽप्यासुरिपिङ्गलौ च । सप्त स्वराः सप्त रसातलानि कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥ सप्तार्णवाः सप्त कुलाचलाश्च सप्तर्षयो द्वीपवनानि सप्त । भूरादिकृत्वा भुवनानि सप्त कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥ सनत्कुमार , सनक , सनन्दन , सनातन , आसुरि और पिंगल - ये ऋषिगण ; षड्ज , ऋषभ , गान्धार , मध्यम , पंचम , धैवत तथा निषाद ये सप्त स्वर ; अतल , वितल , सुतल , तलातल , महातल , रसातल तथा पाताल - ये सात अधोलोक सभी मेरे प्रात : कालको मंगलमय करें । सातों समुद्र , सातों कुलपर्वत , सप्तर्षिगण , सातों वन तथा सातों द्वीप , भूर्लोक , भुवर्लोक आदि सातों लोक सभी मेरे प्रात : कालको मंगलमय करें । ' प्रकृतिस्मरण पृथ्वी सगन्धा सरसास्तथापः स्पर्शी च वायुर्चलितं च तेजः । नभः सशब्दं महता सहैव कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥ गन्धयुक्त पृथ्वी , रस युक्त जल , स्पर्शयुक्त वायु , प्रज्वलित तेज , हित आकाश एवं महत्तत्त्व - ये सभी मेरे प्रात : कालको मंगलमय करें । इत्थं प्रभाते परमं पवित्रं पठेत् स्मरेद्वा शृणुयाच्च भक्त्या । दुःस्वप्जनाशस्त्विह सुप्रभातं भवेच्च नित्यं भगवत्प्रसादात् ॥ इस प्रकार उपर्युक्त इन प्रात: स्मरणीय परम पवित्र श्लोकोंका जो मनुष्य भक्तिपूर्वक प्रात : काल पाठ करता है , स्मरण करता है अथवा सुनता है , भगवद्दयासे उसके दुःस्वप्नका नाश हो जाता है और उसका प्रभात मङ्गलमय होता है ।
साभार नित्य कर्म पूजा प्रकाश , गीता प्रेस गोरखपुर
Негізгі бет Музыка प्रात:स्मरणीय श्लोक (श्री६श्री गुरु श्री शिवदत्त स्मारक गड्डी,जोधपुर)9414849604 , 9829335510
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