पृथ्वी मुद्रा : शरीर को शक्तिशाली और स्वस्थ बनाये।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
पृथ्वी मुद्रा से पृथ्वी तत्व का संवर्धन होता है। हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है। इसमें जो भी ठोस पदार्थ है उसका निर्माण पृथ्वी तत्व से हुआ है।
पृथ्वी मुद्रा से शरीर में विटामिनों तथा कैल्शियम आयरन व मैग्नीशियम जैसे अनेक प्रकार के खनिज तत्वों की कमी दूर होती है। यह रस रक्त आदि सप्तधातुओं को पुष्ट करता है। इससे पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ और नवीन कोशिकाओं का निर्माण होता है। इससे शरीर स्वस्थ होता है, हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत होती, हैं शरीर का वजन और लंबाई बढ़ती है, शरीर स्वस्थ और सुडौल होता है, आकर्षक देहयष्टि यानी अट्रेक्टिव फिगर का निर्माण होता है।
यह पाचन संस्थान को स्वस्थ तथा क्रियाशील करती है। इससे जीवनी शक्ति में वृद्धि होती है, शरीर में स्फूर्ति कांति और तेजस्विता आती है, सात्विक गुणों का विकास होता है, मन प्रसन्न होता है तथा लक्ष्य के प्रति सजगता आती है।
मूलाधार चक्र पर इसका अनुकूल प्रभाव पड़ता है। इससे मूलाधार चक्र से संबंधित अंग स्वस्थ और सबल होते हैं, पौरुष शक्ति में वृद्धि होती है, कामेंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त होता है, तथा हार्निया और प्रोस्टेट ग्लैंड के शोथ जैसे रोगों में लाभ मिलता है।
मन पर भी इसका बहुत अच्छा प्रभाव है। पृथ्वी तत्व के बढ़ने से स्वभाव और विचारों में स्थिरता आती है, तथा मन की चंचलता दूर होती है। ए डी एच डी नामक बीमारी से ग्रस्त ऐसे हाइपर एक्टिव बच्चे जिनमें एकाग्रता की बहुत कमी होती है तथा कई बार वे बहुत जिद्दी भी होते हैं, उनके लिए यह बहुत उपयोगी है। प्रायः ऐसे लोगों में पृथ्वी तत्व की कमी होती है इसलिए उन्हें इस बीमारी के लिए निर्देशित शून्य मुद्रा के साथ यदि पृथ्वी मुद्रा का भी अभ्यास कराया जाए तो चमत्कारिक लाभ मिल सकता है।
इस प्रकार पृथ्वी मुद्रा के नियमित अभ्यास से शरीर स्वस्थ होता है, कमजोरी दूर होती है, कैल्शियम आदि पोषक तत्वों व खून की कमी दूर होती है, हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत होती हैं, पाचन संस्थान स्वस्थ होता है, नाखूनों और बालों से संबंधित अनेक प्रकार के रोग दूर होते हैं।
समय- कम से कम 45 मिनट, एक घण्टा आदर्श है। कुछ मामलों में इससे अधिक की भी आवश्यकता पड़ सकती है। यदि इतना एक बार में न कर सकें तो कई बार में भी निर्धारित समयावधि पूरी की जा सकती है।
सावधानी- इसके तुरंत पहले या तुरंत बाद में सूर्य मुद्रा का अभ्यास न करें। जिनका वजन बहुत अधिक हो या जिन्हें पथरी अथवा ट्यूमर वगैरह बनते रहने की शिकायत हो उन्हें बिना किसी अनुभवी योगाचार्य के परामर्श के इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
Негізгі бет पृथ्वी मुद्रा, विधि लाभ व सावधानियाँ। Prithvi mudra, method benefits and precautions.
Пікірлер: 18