#NiranjanSaar
प्रभु जी मेरे औगुन चित न धरो। सम-दरसी है नाम तिहारो, अब मोहिं पार करो ॥
इक नदिया इक नार कहावत, मैलो नीर भरो।
जब दोनों मिलि एक बरन भये, सुरसरि नाम परो ॥
इक लोहा पूजा पूजा में राखत, इक घर बधिक परो ।
पारस गुन अवगुन नहिं चितवै, कंचन करत खरो ॥
यह माया भ्रम जाल निवारो, सूरदास सगरो ।
अबकी बेर मोहिं पार उतारो, नहिं प्रन जात टरो ॥
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Негізгі бет Prabhu Ji Mere Augun Chit Na Dharo || Bani Surdas Ji || Niranjan Saar ||
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